नईदिल्ली
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और केंद्र सरकार लगातार कह रही है कि 2000 के नोट वापस लेने की प्रक्रिया कोई नोटबंदी नहीं है. लेकिन जैसे ही शुक्रवार को आरबीआई ने ऐलान किया कि 2000 के नोट बाजार से वापस लिए जाएंगे. लोगों को 2016 की परेशानियां याद आने लगीं. केंद्रीय बैंक ने अपने सर्कुलर में कहा कि जिनके पास भी 2000 के नोट हैं, वो आज 23 मई से 30 सितंबर तक देश के किसी भी बैंक में जाकर उसे बदल सकते हैं. एक बार में आप 20 हजार रुपये तक यानी टोटल दस 2000 के नोट बदल पाएंगे.
RBI का कहना है कि नोट बदलने को लेकर लोगों में अब कोई कंफ्यूजन नहीं होना चाहिए. लेकिन अभी बहुत से ऐसे सवाल हैं, जिनके जवाब नहीं मिल पाएं हैं. कुछ इसी तरह के मामले 2016 में नोटबंदी की घोषणा के बाद अगले कुछ दिनों तक थे. लोगों को सही से जानकारी नहीं मिल पा रही थी. आज भी पांच ऐसे सवाल हैं, जिनके जवाब से लोग और कंफ्यूज हो रहे हैं, या फिर कह सकते हैं कि ये सवाल 2016 की नोटबंदी के हालात को याद दिलाते हैं.
कंफ्यूजन नंबर-1. 2000 के नोट बदलने के लिए ग्राहक को कोई डेटा नहीं देना होगा?
अगर नोट बदलने के लिए कोई रिकॉर्ड नहीं देना है तो क्या एक आदमी एक दिन में कई बैंकों में जाकर जमा नहीं कराएगा? जब डेटा नहीं लिया जाएगा तो फिर कोई भी किसी भी बैंक में जाकर नोट बदल सकता है. इसका गलत फायदा वैसे लोग उठा सकते हैं, जिसके पास ब्लैक मनी (Black Money) के तौर पर 2000 के नोट पड़े हैं. वो किसी को भी लाइन में लगवार नोट बदलवा लेगा. कुछ इसी तरह के मामले 2016 की नोटबंदी के दौरान शुरुआती दिनों में सामने आए थे.
कंफ्यूजन नंबर-2. एक दिन में कितने 2000 के नोट बदल या बैंक में डिपॉजिट कर सकते हैं?
केंद्रीय बैंक ने अपने सर्कुलर में कहा है कि एक बार में लोग 2000 के 10 नोट बदल पाएंगे. यानी कुल 20 हजार रुपये के नोट बदल सकते हैं. लेकिन ये साफ नहीं है कि एक दिन में कुल कितने 2000 के नोट बदल या अपने अकाउंट में डिपॉजिट कर सकेंगे. इससे ये होगा कि एक बार लोग नोट बदलकर फिर उसी उसकी लाइन में दोबारा लग जाएंगे तो फिर क्या होगा? अगर किसी के पास एक लाख रुपये के 2000 के नोट हैं तो क्या वे एक बार में अपने अकाउंट में उसे डिपॉजिट कर पाएंगे. या फिर उन्हें 20-20 हजार करके डिपॉजिट करना होगा.
कंफ्यूजन नंबर-3. किसी भी बैंक में जाकर 2000 के नोट बदल सकेंगे, अगर उसमें अकाउंट नहीं भी है तो भी नियम के मुताबिक बदल सकते हैं?
अब ऐसे में लोग दिनभर घूम-घूमकर अलग-अलग बैंकों में 20-20 हजार करके 2000 के नोट बदलेते रहेंगे. बैंक को कैसे पता चलेगा कि ये शख्स आज एक बार से अधिक बैंक में नोट बदल चुके हैं. एक बैंक दूसरे बैंक से नोट बदलने का डेटा कैसे साझा करेगा, जो कि 2016 जैसा ही कंफ्यूजन पैदा करता है. यही नहीं, कालेधन वाले तो इसका भरपूर गलत फायदा उठा सकता है. जब डेटा ही नहीं लिया जाएगा, तो एक ही दिन में वो बार-बार नोट बदलने बैंक पहुंचेंगे.
कंफ्यूजन नंबर-4. इस 2000 रुपये की नोट को वापस लेने के पीछे सही मकसद क्या है?
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास का कहना है कि 2000 के नोटों को छापने का फैसला 500 और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने के दौरान करेंसी की कमी को पूरा करने के लिए लिया गया था. अब यह मकसद पूरा हो चुका है. अब दूसरी करेंसी पर्याप्त मात्रा में चलन में हैं. लेकिन कंफ्यूजन ये है कि 2000 के नोट वापस लेने के पीछे कालेधन पर प्रहार का भी जिक्र किया जा रहा है. कहा जा रहा है कि बड़े पैमाने पर लोग 2000 के नोट गलत तरीके अपने पास दबा रखे हैं. बड़े नोट होने के कारण इसका गलत फायदा उठाया जा रहा है. ऐसे में 2000 के नोट वापस लेने के पीछे आखिर मकसद क्या है, ये अभी तक एक सवाल के रूप में है. जब 2000 के नोट की छपाई 2018-19 में बंद हो गई थी तो फिर इतना लंबा वक्त वापस लेने में क्यों लगा?
कंफ्यूजन नंबर-5. 2000 के नोट की लाइफ साइकल खत्म तो साथ ही में आए 500 के नोट का क्यों नहीं? क्या 1000 के नोट जारी करेगी सरकार?
साल 2016 में नोटबंदी के बाद आरबीआई ने एक साथ 2000 के और 500 रुपये के नए नोट जारी किए थे. अब RBI का कहना है कि 2000 के नोट की लाइफ साइकल खत्म हो गया है कि इसलिए बाजार से वापस लिए जा रहे हैं. यहां कंफ्यूजन ये है कि उसी के साथ आरबीआई 500 रुपये के नए नोट जारी किए थे, जो अब भी चलन में हैं. फिर 2000 के नोट की लाइफ साइकल खत्म होने का तर्क हजम नहीं हो रहा है. सवाल तो ये भी है कि अब आरबीआई भी कह रहा है कि 2000 के नोट लाने का मकसद पूरा हो चुका है. ऐसे में क्या 2000 के नोट की वापसी के बाद क्या केंद्रीय बैंक फिर से 1000 रुपये के नोट जारी करने पर विचार करेगा? इसके अलावा 30 सितंबर के बाद क्या 2000 के अवैध करार दे दिए जाएंगे.