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थल से डल तक गश्त, G20 में भारत दिखाएगा दमखम; ऐतिहासिक मेजबानी के लिए तैयार कश्मीर

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नई दिल्ली
कश्मीर सोमवार से श्रीनगर में अंतर्राष्ट्रीय स्तर की तीन दिवसीय जी-20 पर्यटन कार्य समूह की बैठक की मेजबानी के लिए तैयार है। बैठक में दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से कम से कम 60 प्रतिनिधि शामिल हो सकते हैं। कड़े सुरक्षा प्रबंध के बीच कश्मीर अपने इतिहास में पहली बार इतने देशों के प्रतिनिधियों की मेजबानी करने जा रहा है।

कहां होगा आयोजन और कैसी है तैयारी
शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर (SKICC) में आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम से पहले संवाददाता सम्मेलन में मुख्य समन्वयक हर्षवर्धन श्रृंगला ने रविवार को तैयारियों की जानकारी दी। उन्होंने आयोजन की सफलता सुनिश्चित करने के लिए फाइबर केबल बिछाने और तेजी से किए गए विकास कार्यों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि यह पहली बार है, जब भारत के विभिन्न क्षेत्रों में जी-20 कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे और देश भर में व्यापक जागरूकता अभियान चलाए गए। केंद्र सरकार ने अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 को रद्द कर दिया था। वहीं, तत्कालीन राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर और लद्दाख में विभाजित किए जाने के बाद कश्मीर में यह पहली अंतर्राष्ट्रीय बैठक है। पर्यटन पर पहली कार्यकारी समूह की बैठक फरवरी में गुजरात के कच्छ के रण में और दूसरी अप्रैल में पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में आयोजित की गई थी।

श्रृंगला ने भरोसा जताया कि श्रीनगर में बैठक का आयोजन जम्मू कश्मीर की अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार में योगदान देगा। इससे क्षेत्र में पर्यटन, ‘एडवेंचर टूरिज्म’, फिल्म पर्यटन और ईको-टूरिज्म की क्षमता में बढ़ोतरी होगी।

श्रीनगर में जी-20 बैठक बदलाव दिखाने का अवसर: जितेंद्र सिंह
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि श्रीनगर में सोमवार से शुरू हो रही जी-20 बैठक भारत के लिए जम्मू-कश्मीर के बदले हुए परिदृश्य को दिखाने का अवसर है, जो पहले पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के साए में था। उन्होंने कहा कि बैठक इस बात का संकेत है कि अब जम्मू-कश्मीर और कश्मीर घाटी देश के अन्य शहरों की तरह गतिविधि की समान धारा में हैं। हैदराबाद, गुरुग्राम या कहीं और आयोजित जी-20 बैठक की तरह श्रीनगर में भी बैठक हो रही है। जी-20 बैठक का औपचारिक उद्घाटन केंद्रीय पर्यटन मंत्री जी किशन रेड्डी, जितेंद्र सिंह और जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा मंगलवार को करेंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिबद्धता और उनके दृढ़ विश्वास के कारण जम्मू-कश्मीर के बदले हुए परिदृश्य को प्रदर्शित करने का भारत के लिए एक अवसर भी है।

‘कश्मीर फिर से फिल्मों के लिए पसंदीदा स्थान बन रहा’
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में जम्मू-कश्मीर में आए बदलाव से फिल्म उद्योग का भरोसा बढ़ा है और वह अब घाटी को फिल्म निर्माण के लिए एक महत्वपूर्ण जगह बनाना चाहता है। उन्होंने कहा कि जम्मू और कश्मीर में सामान्य हालात कायम होने से पर्यटन में वृद्धि हुई और इसका प्रभाव घाटी में फिल्म निर्माण पर भी पड़ा है। उन्होंने बताया कि जी-20 बैठक में ‘आर्थिक विकास के लिए फिल्म पर्यटन’ पर एक सत्र का भी आयोजन होगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हॉलैंड के ट्यूलिप गार्डन में फिल्म की शूटिंग, कश्मीर के ट्यूलिप गार्डन में फिल्माने के बराबर नहीं होगी क्योंकि यहां लागत बहुत कम होगी। उन्होंने कहा कि कश्मीर में कुछ किलोमीटर के दायरे में फव्वारे, झीलें, पठार, पहाड़ियां, बर्फ से ढंकी चोटियां हैं। मुझे यकीन है कि यह लोगों का ध्यान खींचेगा।

उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के बाद कश्मीर बॉलीवुड के पसंदीदा स्थलों में से एक था। वहां कई स्थानों पर कम लागत में शूटिंग हुई पर 1990 में अचानक सब कुछ रुक गया। उन्होंने कहा कि कई फिल्मों के निर्माण के दौरान वैकल्पिक स्थानों को खोजना पड़ा। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कुछ साल पहले तक कश्मीर का दौरा करना लगभग वर्जित था।

जबरवान रेंज से लेकर डल झील तक सुरक्षा के कड़े इंतजाम
श्रीनगर में सोमवार से शुरू हो रही जी-20 की बैठक सुरक्षित तरीके से सम्पन्न कराने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) की ड्रोन-रोधी टीम आसमान से नजर रखे हैं, मरीन कमांडो डल झील में गश्त कर रहे हैं और सुरक्षाकर्मी जमीन पर निगरानी रखे हुए हैं। यह जानकारी अधिकारियों ने दी। न्यूनतम पुलिसिंग और अधिकतम सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से, जम्मू कश्मीर पुलिस ने ज़बरवान रेंज पर तैनाती के लिए सेना से सम्पर्क किया है। जबरवान बैठक स्थल और रेंज मेहमानों के लिए ठहरने की जगह के नजदीक स्थित है। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की 30 कंपनियों को घाटी में सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए वापस बुला लिया गया है, जिन्हें पहले देश के बाकी हिस्सों में चुनाव ड्यूटी के लिए जम्मू कश्मीर से बाहर ले जाया गया था।

अधिकारियों ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) की ड्रोन रोधी इकाई के दलों को यह सुनिश्चित करने के लिए सेवा में लगाया गया है कि कोई अवांछित हवाई घुसपैठ न हो। किसी भी आतंकवादी घटना और बंधक बनाने जैसी स्थिति से निपटने के लिए ‘ब्लैक कैट’ कमांडो की एक टीम तैयार है। सुरक्षा तैयारियों से जुड़े एक अधिकारी ने कहा, मार्कोस टीम जम्मू कश्मीर पुलिस और सीआरपीएफ की नदी शाखा के कर्मियों के साथ डल झील में गश्त करेगी, क्योंकि कन्वेंशन सेंटर झील के किनारे स्थित है।