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लश्कर से रिश्ते, पाक सेना में डॉक्टर; 26/11 हमले के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा की पूरी कुंडली

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 नई दिल्ली

Tahawwur Rana: 26/11 मुंबई बम धमाकों के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा को भारत लाने की मुहिम कामयाब रही है। अमेरिकी अदालत की मंजूरी के बाद उसे जल्द ही देश लाया जाएगा। इसे भारत की बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है। तकरीबन तीन साल से चली आ रही अदालती लड़ाई को भारत सरकार ने जीत लिया है। तहव्वुर राणा पाकिस्तान का पूर्व अधिकारी है। वह भले ही 1997 में कनाडा चला गया लेकिन, वहां से भी उसने आतंकी संगठन लश्कर से संपर्क बनाए रखा। उसे 2008 में पैगंबर मोहम्मद के कार्टून प्रकाशन को लेकर अमेरिका में सिलसिलेवार हमलों के आरोप में शिकागो से गिरफ्तार भी किया गया था। एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, कैलिफोर्निया में एक अमेरिकी मजिस्ट्रेट अदालत ने 16 मई को 48 पन्नों का एक आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया कि तहव्वुर राणा को भारत में प्रत्यर्पित किया जाना चाहिए। तहव्वुर राणा पर 26/11 के मुंबई धमाकों के पीछे साजिश रचने का आरोप है। उसे जल्द ही अमेरिका से भारत लाया जाएगा।

तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण का अनुरोध भारत द्वारा 10 जून, 2020 को दायर किया गया था, जिसमें बाइडेन प्रशासन ने प्रत्यर्पण का समर्थन और अनुमोदन किया था। 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों में छह अमेरिकियों सहित 166 लोगों की मौत हो गई थी। इस आतंकी हमले को दस पाकिस्तानी आतंकवादियों ने अंजाम दिया था।

कौन है तहव्वुर राणा?
पाकिस्तानी सेना के पूर्व अधिकारी (डॉक्टर) तहव्वुर राणा 1997 में कनाडा चला गया और 2001 में कनाडा का नागरिक बन गया। उसने शिकागो में "फर्स्ट वर्ल्ड इमिग्रेशन सर्विसेज" नामक एक आव्रजन व्यवसाय की स्थापना की। 26/11 के हमले का आरोप डेविड कोलमैन और राणा बचपन के दोस्त थे, जो पहली बार हाई स्कूल में पढ़ाई के दौरान पाकिस्तान में मिले थे।

राणा का आपराधिक इतिहास
पैगंबर मोहम्मद के कार्टून प्रकाशित करने वाले डेनिश अखबार पर सुनियोजित हमले के सिलसिले में राणा को 18 अक्टूबर 2009 को शिकागो में गिरफ्तार किया गया था। बाद में उसे मुंबई हमलों, डेनमार्क आतंकवाद की साजिश और आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के लिए सामग्री सहायता प्रदान करने सहित कई मामलों में आरोपित किया जा चुका है। जून 2011 में, राणा को डेनमार्क में हत्या की साजिश के लिए सामग्री का समर्थन करने और लश्कर का समर्थन करने का दोषी ठहराया गया था, लेकिन मुंबई हमलों में साजिश से बरी कर दिया गया था। उसे 2013 में 14 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी और उसके बाद पांच साल की निगरानी में रिहा किया गया था।