नई दिल्ली
गर्मी से निताज पाने के सामान और साधनों के दाम में महंगाई का असर दिखना शुरू हो जाता है। 2015 से लेकर 2022 तक साल-दर-साल अप्रैल-जून के बीच पारे के साथ गर्मी दूर भगाने के सामानों के चढ़ते दामों को लेकर मिंट के विश्लेषण में निकला है कि गर्मी के मौसम में खाया जाने वाला आम फलों का ही नहीं, महंगाई का भी राजा है। साल 2015 से आम की कीमत में सालाना औसतन 10.4 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। इस बार भी समय से पहले गर्मी, बेमौसम बरसात और आंधी तूफान के कारण आम की फसल बुरी तरह प्रभावित हुई है। इसलिए इस बार आम की कीमत में भारी तेजी आने की आशंका है। दिलचस्प बात है कि आम उन 299 खाने-पीने की सूची में शामिल है जिनसे उपभोक्ता मूल्य सूचकांक का निर्धारण होता है। गर्मियों के मौसम में खाए जाने वाले इस फल की उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में काफी अहमियत है।
खरबूज, दूध, दही भी महंगा
इसी तरह इस अवधि में खरबूज, दूध, दही और शीतल पेयों की औसत महंगाई चार फीसद से अधिक रही है। गर्मियों की छुट्टियों में इस्तेमाल होने वाले सामानों और सेवाओं की कीमत में भी इस दौरान तेजी देखने को मिली है। इसमें स्टीमर और बोट का किराया, कुली का भाड़ा, मनोरंजन सेवा का शुल्क शामिल है।
फ्रीज से लेकर पंखे तक हुए महंगे
गर्मियों में इस्तेमाल होने वाले रेफ्रिजरेटर, एयर कंडीशनर, एयर कूलर और बिजली के पंखे की कीमत में ज्यादा तेजी नहीं आई है। हालांकि हाल के वर्षों में इनकी कीमत बढ़ी है। पिछले तीन साल में एयर कंडीशनर्स और एयर कूलर्स की कीमत में औसतन 4.5 फीसद की तेजी आई है जबकि उससे पहले लगातार तीन साल इनकी कीमत में औसतन 1.5 फीसद की बढ़ोतरी हुई थी। इसी तरह पिछले तीन साल के दौरान बिजली के पंखे की कीमत 3.6 फीसद बढ़ी जबकि उससे पहले तीन साल इसकी कीमत में सालाना औसतन 1.9 फीसद की तेजी आई थी। जहां तक रेफ्रिजरेटर की बात है तो पिछले तीन साल इसमें सालाना औसतन 3.4 फीसद की बढ़ोतरी हुई जबकि उससे पहले तीन साल इसकी कीमत सालाना 3.1 फीसद बढ़ी थी।
आम और खरबूज के तेवर तीखे
दूसरी ओर आम और खरबूज को छोड़कर बाकी खाने-पीने के सामान की कीमत में हाल के वर्षों में कम तेजी आई है। आम की महंगाई 3.6 फीसद की तुलना में 17.2 फीसद पहुंच गई, जबकि खरबूज की महंगाई 0.8 फीसद से उछलकर 8.9 फीसद पहुंच गई। गर्मियों में आइसक्रीम की बहुत खपत होती है। इसकी कीमत में पिछले छह साल में औसतन 2.9 फीसद तेजी आई है। हालांकि इस दौरान विमान किराए में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। 2017 में इसमें 23.5 फीसद और 2022 में 14.7 फीसद तेजी रही। लेकिन बाकी वर्षों में इसमें भारी गिरावट देखने को मिली।