भोपाल
चुनाव घोषणा के तीन माह पहले राज्य सरकार प्रदेश में एमएसएमई की चार हजार से अधिक यूनिट्स चालू करने की तैयारी में है। इसको लेकर एमएसएमई विभाग के मंत्री और कमिश्नर ने सभी जिलों के अधिकारियों से दो टूक कहा है कि यह काम 30 जून तक हो जाना चाहिए। इसके बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से इन यूनिट्स के लोकार्पण और भूमिपूजन का काम कराया जाएगा। उधर जिलों के अधिकारी इस परेशानी में हैं कि यूनिट्स लगाने के लिए इच्छुक लोग सामने नहीं आ रहे हैं तो ऐसे में कैसे आगामी डेढ़ माह में चार हजार यूनिट्स और क्लस्टर की प्रक्रिया पूरी कर सकेंगे।
प्रदेश में रोजगार के साधन जुटाने के लिए सरकार ने सीखो-कमाओ योजना शुरू करने के साथ एमएसएमई और औद्योगिक नीति व निवेश प्रोत्साहन विभाग के जरिये लगने वाले उद्योगों में रोजगार देने पर फोकस किया है। इसी के मद्देनजर एमएसएमई विभाग ने सभी जिला महाप्रबंधकों से कहा है कि तीस जून तक चार हजार से अधिक यूनिट्स के लोकार्पण और भूमिपूजन के प्रस्ताव मुख्यालय भेजें। जिन जिलों में भूखंड खाली पड़े हैं, वहां इस अवधि में भूखंडों का आवंटन कर दिया जाए ताकि भूमिपूजन जुलाई में कराया जा सके। इसके लिए भूखंड नीलामी प्रक्रिया इसी माह करने के लिए कहा गया। साथ ही जहां भूखंड आवंटित हुए हैं, वहां यूनिट्स चालू कराने के लिए काम करें।
13 जिलों में नहीं एक भी क्लस्टर का प्रस्ताव
अधिकारियों से यह भी कहा गया है कि जिलों में नए क्लस्टर डेवलप करने के लिए काम करें। बताया गया कि बैठक के दौरान प्रदेश के 13 जिलों में अब तक एक भी क्लस्टर डेवलमेंट प्रस्ताव नहीं आने पर भी नाराजगी जताई गई। इसमें रीवा और शहडोल संभाग के रीवा, सीधी, सतना, शहडोल, उमरिया, अनूपपुर, सिंगरौली जिलों के अलावा अलीराजपुर, झाबुआ, बड़वानी, दमोह, अशोकनगर, श्योपुर कला शामिल हैं। इन जिलों के अधिकारियों से कहा गया है कि क्लस्टर डेवलपमेंट के लिए काम करो ताकि सीएम से लोकार्पण और भूमिपूजन कराया जा सके। उधर कुछ जिलों में यह बात सामने आई है कि पूर्व में जहां क्लस्टर घोषित किए गए थे वहां भी एमएसएमई उद्यमी सामने नहीं आ रहे हैं और इसी के चलते क्लस्टर का काम प्रभावित हो रहा है।
सीखो कमाओ के लिए भी करना होगा काम
एमएसएमई विभाग के अफसरों से कहा गया है कि सीखो कमाओ योजना भले ही कौशल विकास विभाग की स्कीम है लेकिन इसके लिए एमएसएमई अफसरों को भी काम करना होगा। अधिकारी अपने जिलों में इस योजना का लाभ युवाओं का दिलाने के लिए जिलों में संचालित उद्योगों के संचालकों से संपर्क करें और सीखने के लिए उन्हें एंट्री दिलाने का काम करें।