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420 प्रोफेसरों को प्रिंसिपल कार्यों की दिलाई थी ट्रेनिंग फिर भी व्यवस्था फेल

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 भोपाल

उच्च शिक्षा विभाग ने दो साल पहले करीब 420 प्रोफेसरों को प्राचार्य से संबंधित कार्यों की ट्रेनिंग दिलाई थी, जिसके बाद भी कालेजों में व्यवस्थाएं बिखरी हुई हैं। प्रोफेसरों को ट्रेनिंग लिये डेढ साल से ज्यादा का समय बीत गया है, लेकिन विभाग उन्हें प्रभारी प्राचार्य बना सका है और न ही प्राचार्यों ने उन्हें कोई अतिरिक्त दायित्व सौपें हैं। इससे विभाग के करीब 11 लाख रुपये फिजूल खर्च होते दिखाई दे रहे हैं।

शासन प्रोफेसर की पदोन्नति को लेकर संजिदा नहीं हैं। विभाग उन्हें 11 लाख रुपए खर्च कर ट्रेनिंग देकर भी प्रभारी तक नहीं बना सकी और ना ही उन्हें नियमित डिग्री-पीजी प्राचार्य नियुक्त कर सकता है। सूबे के 516 में से 450 कालेज प्रभारी प्राचार्य चला रहे हैं। प्रभारियों से कालेजों की स्थिति दिन व दिन बिगड रही है। इसलिए विभाग ने करीब 420 प्रोफेसरों की सूची जारी कर उन्हें प्रशासन अकादमी में ट्रेंड करा दिया। इसमें कुछ ऐसे प्रोफेसर और प्रभारी प्राचार्यों को ट्रेनिंग दी गई, जो कुछ माह में सेवानिवृत्त होने वाले हैं। विभाग का ऐसे लोगों की फिजूल खर्च किया है।

विवादों में बनीं रहती है वरिष्ठता
प्रोफेसरों हरेक वर्ष प्रोफेसरों की वरिष्ठता सूची जारी करता है। अपनी वरिष्ठता को दिखाने के लिए प्रोफेसर सूची को हाईकोर्ट में चुनौती देते आए हैं। इससे वरिष्ठता के आधार पर प्रोफेसरों को पदोन्नत करने वाला मामला हमेशा अटका ही रहेगा। क्योंकि प्रोफेसर अपनी वरिष्ठता दिखाने के लिए सूची को हाईकोर्ट के कठघरे में रखते हैं। इसका खामियाजा दूसरे योग्य प्रोफेसरों को भुगतना होता है।

ये खर्च का हिसाब
विभाग ने रूसा के माध्यम से करीब 420 प्रोफेसरों की सूची जारी की। साठ-साठ प्रोफेसरों के हिसाब से सात बैच में प्रशासन अकादमी में एक साप्ताह का प्रशिक्षण किया गया। इस दौरान विभाग को हरेक प्रोफेसर पर करीब ढाई हजार रुपये के हिसाब से खर्च किया है। इसके तहत विभाग ने प्रशासन अकादमी को करीब 420 प्रोफेसरों को ट्रेंड करने करीब 11 लाख रुपए का भुगतान करना है।