कर्नाटक
कर्नाटक में चार दिनों के गहन मंथन के बाद आखिरकार मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के नाम की घोषणा कर ही दी गई। सिद्धारमैया जहां मुख्यमंत्री होंगे वहीं डीके शिवकुमार उपमुख्यमंत्री होंगे। हालांकि, डीके शिवकुमार भी मुख्यमंत्री की दावेदारी ठोक रहे थे लेकिन अंत में उन्हें निराशा हाथ लगी और डिप्टी सीएम के पद से संतोष करना पड़ा है। लेकिन क्या डिप्टी सीएम बनकर उन्हें वे अधिकार मिलेंगे जो मुख्यमंत्री के पास होते हैं। डिप्टी सीएम का पद संवैधानिक नहीं हमारे संविधान में डिप्टी CM यानी उपमुख्यमंत्री जैसी किसी पद की व्यवस्था नहीं है। वह शपथ भी राज्य के मंत्री के रूप में लेता है।
संविधान का अनुच्छेद-164 CM और उनके मंत्रियों की नियुक्ति की बात करता है, लेकिन उसमें डिप्टी CM जैसे पद के बारे में कोई चर्चा नहीं है। डिप्टी सीएम सिर्फ नाम का, काम अन्य मंत्रियों की तरह ही बता दें कि सिर्फ राजनीतिक संतुलन बनाने के लिए डिप्टी सीएम जैसी पोस्ट क्रिएट की गई। संविधान में इस पोस्ट का कोई जिक्र नहीं है। डिप्टी सीएम अन्य मंत्रियों की तरह ही काम करते हैं। उनके पास जो विभाग होता है बस उतना ही उनका क्षेत्राधिकार होता है। वे मुख्यमंत्री के किसी फाइल पर साइन नहीं कर सकते।
जानिए डिप्टी सीएम के अधिकार
डिप्टी सीएम के पास उसके मंत्रालय तक का ही अधिकार होता है।
डिप्टी सीएम क्लास वन के अधिकारी की ट्रांसफर-पोस्टिंग तक नहीं कर सकते।
डिप्टी CM को भी बाकी मंत्रियों की तरह उसके दिए गए विभागों से जुड़ी फाइलों को पास कराने के लिए CM को भेजनी होती हैं।
डिप्टी CM को कैबिनेट स्तर के बाकी मंत्रियों के इतना ही सैलरी और भत्ते मिलते हैं।
डिप्टी CM कैबिनेट की बैठक की अध्यक्षता नहीं कर सकता है। लेकिन कभी विशेष परिस्थिति में सीएम के आदेश पर कर सकता है।
डिप्टी CM कैबिनेट की बैठक की अध्यक्षता नहीं कर सकता है।
दूसरे मंत्रियों की तरह उपमुख्यमंत्री को भी अपने डिपार्टमेंट में बजट से ज्यादा खर्च के लिए CM की अनुमति लेनी होती है।
डिप्टी CM अपने मंत्रालय के अलावा दूसरे मंत्रालय को कोई निर्देश नहीं दे सकता है।