बिहार
बिहार में जातीय जनगणना मामले पर आज (18 मई) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है। जाति आधारित सर्वेक्षण पर पटना हाईकोर्ट की रोक को चुनौती देने वाली बिहार सरकार की याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा। नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार ने 11 मई को सुप्रीम कोर्ट में पटना हाईकोर्ट के 4 मई के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें राज्य में जाति सर्वेक्षण पर 3 जुलाई तक के लिए अंतरिम रोक लगा दी गई थी। हाई कोर्ट ने सुनवाई के लिए 3 जुलाई की तारीख तय की थी और स्पष्ट किया था कि यह रोक तब तक प्रभावी रहेगी। जनगणना पर हाईकोर्ट के अंतरिम रोक के एक दिन बाद बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मामले की जल्द सुनवाई की मांग की थी। हालांकि, पटना हाईकोर्ट ने यह कहते हुए याचिका को खारिज कर दिया था कि इस मामले में अगली सुनवाई 3 जुलाई को होगी।
हाई कोर्ट के 4 मई के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर एक अपील में राज्य सरकार ने कहा कि रोक से पूरी कवायद पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। याचिका में, बिहार सरकार ने कहा कि जाति सर्वेक्षण पर रोक लगाना उचित नहीं है। इससे राज्य को अपूरणीय क्षति होगी और पूरे अभ्यास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा पटना बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की याचिका में कहा है, "राज्य ने पहले ही 80 प्रतिशत से अधिक सर्वेक्षण कार्य पूरा कर लिया है। कुछ जिलों में 10 प्रतिशत से कम कार्य लंबित है। पूरी मशीनरी जमीनी स्तर पर है। अंतिम अधिनिर्णय के अधीन अभ्यास को पूरा करने में कोई नुकसान नहीं होगा।'' बिहार सरकार ने आगे कहा, ''सर्वेक्षण पूरा करने के लिए समय अंतराल सर्वेक्षण पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा क्योंकि यह समसामयिक डेटा नहीं होगा। अन्य प्रावधानों के अलावा अनुच्छेद 15 और 16 के तहत जाति-आधारित डेटा का संग्रह एक संवैधानिक आदेश है।"