भोपाल
जिले में विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। निर्वाचन आयोग के निर्देश पर मतदाताओं के नाम जोड़ने का काम भी जारी है। 4 महीने से भोपाल से 1500 किलोमीटर दूर चेन्नई में अटके करीब 53 हजार वोटर कार्ड भी अब भोपाल आ गए हैं। इन्हें एक महीने के अंदर हर मतदाता तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। सभी वोटर कार्ड को डाक विभाग को सौंप दिए गए हैं। शहर में अब कार्ड पहुंचाने का काम भी शुरू कर दिया गया है। बीते चार महीने से अधिक समय से अटके वोटर कार्ड को लेकर शहर के हजारों लोग जिला प्रशासन के कई कार्यालय के चक्कर काटने को मजबूर थे।
भोपाल जिले के लगभग 53 हजार मतदाताओं के वोटर कार्ड अटकने वालों में सबसे अधिक मध्य, नरेला और गोविंदपुरा विधानसभा के शामिल हैं। वोटर कार्ड को बनवाने के लिए आवेदन जमा करने के 45 दिन में यह बनकर मतदाता के पास आ जाता है, लेकिन अभी इसमें तीन महीने से अधिक का समय लग रहा है। कार्ड बनने की प्रक्रिया अब पूरी तरह आॅनलाइन हो गई है। भारतीय निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार यह कार्ड चेन्नई में बनाए जाते हैं और वहीं से कार्ड बनकर निर्वाचन शाखा भोपाल में आते हैं। इसके बाद इन्हें स्कैन किया जाता है और फिर भोपाल डाक विभाग को भेज दिया जाता है। जहां से प्रत्येक मतदाता के घर यह पोस्ट कर दिए जाते हैं।
पोर्टल अपडेशन के बाद बनी समस्या
निर्वाचन के पोर्टल को अपडेट किया गया है। इसके कारण भी वोटर कार्ड के सुधार और अपडेट क पुराने फार्म गायब हो गए हैं। इस कारण यह काम भी अटक गया है। पुराना डाटा पोर्टल में अपलोड हो रहा है, लंबित मामलों की संख्या और स्थिति नहीं आने से परेशानी हो रही हैं।
मतदाता सूची में नाम जोड़ने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत 18 साल की उम्र पूरी कर चुके मतदाताओं के नाम जोड़े और मृत व्यक्तियों के नाम हटाए जा रहे हैं। वहीं पिछले कुछ महीनों से 53 हजार वोटर कार्ड अटके थे। चेन्नई से आने के बाद इन्हें डाक विभाग को सौंप दिए गए हैं। जल्द से जल्द ये वोटर कार्ड सभी मतदाताओं तक पहुंच जाएंगे।
– संजय श्रीवास्तव, उप जिला निर्वाचन अधिकारी