भोपाल.
भारत के लिए दक्षिण-पश्चिम मानसून किसी वरदान से कम नहीं है. मानसून के सामान्य रहने से एक ओर जहां देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर रहती है, वहीं चारों ओर खुशहाली भी रहती है. मानसून के दौरान बारिश में कमी या अधिकता होने से हालात बिगड़ जाते हैं. कृषि का बड़ा हिस्सा मानसून के रवैये पर निर्भर करता है.
ऐसे में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने मानसून को लेकर महत्वपूर्ण पूर्वानुमान जारी किया है. मौसम विभाग के विज्ञानियों की मानें तो मानसून तीन-चार दिन की देरी से 4 जून 2023 को केरल में दस्तक देगा. आमतौर पर दक्षिण-पश्चिम मानसून 31 मई से 1 जून के बीच सक्रिय हो जाता है. वहीं, मध्य प्रदेश तक पहुंचने में इसे 15 दिन का वक्त लगने की उम्मीद जताई गई है. इस तरह मध्य प्रदेश में 19 जून को मानसून की पहली बारिश हो सकती है. IMD इस बार देश में मानसून सीजन के दौरान 96 फीसद तक बारिश होने की उम्मीद जताई है.
देश में दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान 70 फीसद तक बारिश होती है. ऐसे में खेतीबारी के लिए यह सीजन काफी महत्वपूर्ण होता है. बाकी की 30 फीसद बारिश अन्य महीनों के दौरान होती है. बता दें कि यदि 96 से लेकर 104 फीसद तक बारिश होती है तो मानसून को सामान्य माना जाता है. 90 से 100 फीसद के बीच बरसात को औसत से कम माना जाता है. देश में कृषि का अधिकांश हिस्सा मानसून सीजन में होने वाली बारिश पर ही निर्भर करता है.
खासकर धान की खेती के लिए यह सीजन बेहद महत्वपूर्ण है. बारिश कम होने की दशा में खेतीबारी का काम बुरी तरह से प्रभावित होता है और किसानों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इसका असर दैनिक उपयोग की वस्तुओं पर भी पड़ता है.
इंदौर-भोपाल में सामान्य या ज्यादा बारिश की संभावना
मौसम विभाग की मानें तो मध्य प्रदेश की वाणिज्यिक राजधानी इंदौर, भोपाल, उज्जैन के साथ ही प्रदेश के पश्चिमी हिस्सों में मानसून के दौरान सामन्य या फिर उससे ज्यादा बारिश होने का पूर्वानुमान जताया गया है. जबलपुर, मंडला, बालाघाट समेत पूर्वी मध्य प्रदेश के इलाकों में सामान्य या फिर उससे कम बारिश होने का अनुमान है. बता दें कि दक्षिण पश्चिम मानसून जून से सितंबर महीने तक सक्रिय रहता है. इसके बाद धीरे-धीरे यह वापस लौट जाता है.
मौसम विज्ञानियों की आशंका
मौसम विज्ञानियों ने दक्षिण-पश्चिम मानसून की सक्रियता को लेकर कुछ आशंकाएं भी जताई हैं. इनके मुताबिक, दक्षिण भारत में मानसून के बेहद सुस्त रफ्तार से आगे बढ़ने की संभावना है. इसके चलते पूरे जून महीने में मध्य व उत्तरी भारत में गर्मी रह सकती है. मानसून में देरी की वजह यह है कि दक्षिणी हिंद महासागर से फैबिन समुद्री तूफान गुजर रहा है. इसका प्रभाव कम होने में एक हफ्ते का वक्त लग सकता है. तूफान की वजह से मानसूनी हवा आगे नहीं बढ़ पा रही है. दूसरी तरफ, अरब सागर में एक एंटी साइक्लोनिक सर्कुलेशन मानसून को पश्चिमी तट के करीब आने से रोक रहा है.