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एंबुलेंस के लिए नहीं थे पैसे, बेटे का शव बैग में डालकर बस में सफर करता रहा पिता

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पश्चिम बंगाल

पश्चिम बंगाल में एक पिता को एंबुलेंस का किराया नहीं होने के कारण अपने बच्चे का शव बैग में डालकर बस से 200 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ा। सिलीगुड़ी से कालियागंज में उसके घर तक शव को ले जाने के लिए एंबुलेंस चालक ने 8000 रुपये मांगे थे। इस मामले को लेकर विधानसभा में विपक्ष के नेता (भाजपा) सुवेंदु अधिकारी ने तृणमूल कांग्रेस सरकार की 'स्वास्थ्य साथी' बीमा योजना पर सवाल उठाया। वहीं, तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा पर एक बच्चे की दुर्भाग्यपूर्ण मौत पर राजनीति करने का आरोप लगाया।

बच्चे के पिता आशीम देबशर्मा ने कहा, '6 दिनों तक सिलीगुड़ी नॉर्थ बंगाल मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पीटल में इलाज के बाद मेरे 5 महीने के बेटे की पिछली रात मौत हो गई। मैंने अपने बेटे को बचाने की पूरी कोशिश की। बच्चे के इलाज पर मैंने 16000 रुपये खर्च किए।' देबशर्मा ने कहा कि मेरे बच्चे को कालियागंज तक ले जाने के लिए एंबुलेंस चालक ने 8000 रुपये मांगे, जो मेरे पास नहीं थे। ऐसी स्थिति में मुझे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर क्या किया जाए।

200 किमी तक शव के साथ बस में किया सफर
देबशर्मा ने दावा किया कि एम्बुलेंस नहीं मिलने पर उन्होंने शव को एक बैग में डाल लिया और दार्जिलिंग के सिलीगुड़ी से करीब 200 किलोमीटर तक उत्तर दिनाजपुर के कालियागंज तक बस से सफर किया। उसने इस बात की किसी यात्री को भनक नहीं लगने दी क्योंकि उसे डर था कि अगर सहयात्रियों को पता चल गया तो उसे बस से उतार दिया जाएगा। उसने कहा कि 102 योजना के तहत एक एंबुलेंस चालक ने उससे कहा कि यह सुविधा मरीजों के लिए है न कि शव को ले जाने के लिए।

मामले को लेकर राज्य में राजनीति गरमाई
मीडिया से बातचीत के इस व्यक्ति के वीडियो को ट्विटर पर डालते हुए अधिकारी ने लिखा, 'हम तकनीकी बातों में न जाएं लेकिन क्या स्वास्थ्य साथी यही हासिल करने के लिए है? यह दुर्भाग्य से ही सही, लेकिन 'इगिये बांग्ला' (उन्नत बंगाल) मॉडल की सच्ची तस्वीर है।' तृणमूल के राज्यसभा सदस्य शांतनु सेन ने भाजपा पर एक बच्चे की मौत पर 'राजनीति करने का' आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि किसी की मौत पर इस तरह की बातें कहना ठीक नहीं है।