सोते समय खरार्टे आने की समस्या काफी लोगों को होती है। खास बात यह है कि इस समस्या का कोई सटीक इलाज भी नहीं है। इस समस्या में प्राणायाम से आराम मिल सकता है। थाइरॉयड की समस्या भी अब काफी लोगों में देखने को मिल रही है। यह एक ग्रंथि होती है, जिससे निकलने वाले रसायन के असंतुलित होने से मोटापा या अत्यधिक कम वजन होने की समस्या हो सकती है। उज्जयी प्राणायाम इस समस्या में भी राहत पहुंचाता है।
उज्जायी प्राणायाम का अर्थ -उज्जायी शब्द का अर्थ होता है. विजयी। इस प्राणायाम में वायु पर नियंत्रण किया जाता है। इसमें उज्जायी क्रिया और प्राणायाम के माध्यम से बहुत से गंभीर रोगों से बचा जा सकता है। इसका अभ्यास तीन प्रकार से किया जा सकता है. खड़े होकर, लेटकर तथा बैठकर।
उज्जायी प्राणायाम विधि
पहली विधि – सुखासन में बैठ कर मुंह को बंद करके नाक के दोनों छेद से तब तक सांस अन्दर खींचें जब तक फेफड़े हवा से पूरी तरह भर न जाएं। फिर कुछ देर सांस अंदर रोक कर रखें। शुरूआत में जितना हो सके उतना ही करें। इसे धीरे धीरे 1 से 2 मिनट तक कर सकते हैं।
फिर नाक के दाएं छिद्र को बंद करके बाएं छिद्र से वायु को धीरे धीरे बाहर निकाल दें। वायु को अंदर खींचते व बाहर छोड़ते समय गले से खरार्टें की आवाज निकलनी चाहिए। इस तरह इस क्रिया का पहले 5 बार अभ्यास करें और धीरे धीरे अभ्यास की संख्या बढ़ाते हुए 20 बार तक ले जाएं।
दूसरी विधि – गले को सिकोड़ कर सांस इस प्रकार लें व छोड़ें की इस क्रिया की आवाज आए। पांच से दस बार श्वास इसी प्रकार लें और छोड़ें। फिर इसी प्रकार से श्वास अंदर भरकर कंठ का संकुचन शिथिल करें और फिर धीरे धीरे रेचन करें अर्थात श्वास छोड़ दें। अंत में मूलबंध शिथिल करें। ध्यान विशुद्धि चक्र कंठ के पीछे रीढ़ मेंद्ध पर रखें।
लाभ -शास्त्रों में बताया गया है कि नियमित रूप से उज्जयी प्राणायाम का अभ्यास करने से लंबे समय तक उम्र का प्रभाव नहीं पड़ता है। यह थाइरोइड रोगियों के लिए बहुत उपयुक्त प्राणायाम है। इसे करने से गर्दन में मौजूद पैराथाइरॉइड भी दूरुस्त रहता है। यह प्राणायाम मस्तिष्क से गर्मी दूर कर आराम पहुंचाता है।
इसके नियमित अभ्यास से पाचन शक्ति बढ़ती है। यह गले से बलगम को हटाता है और फेफड़े की बीमारियों को रोकता है। यह हृदय रोगियों के लिए बहुत अच्छा प्राणायाम है। इसे करने से खरार्टों की समस्या भी दूर हो जाती है।