भोपाल
राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा है कि "एक सप्ताह-एक प्रयोगशाला" कार्यक्रम आत्म-निर्भर भारत निर्माण की सार्थक पहल है। कार्यक्रम से भावी पीढ़ी को राष्ट्र निर्माण के प्रयासों में योगदान की प्रेरणा मिलेगी। उन्होंने कहा कि सी.एस.आई.आर. एम्प्री प्रदेश में अनुसंधान, शिक्षा और उद्योग जगत के बीच सार्थक और समान हिस्सेदारी वाली साझेदारी विकसित कर इंजन ऑफ इनोवेशन बने।
राज्यपाल पटेल आज कॉउंसिल ऑफ़ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च के एडवांस्ड मैटेरियल्स एंड प्रोसस्सेस रिसर्च इंस्टिट्यूट (सी.एस.आई.आर. एम्प्री) के सभागार में "एक सप्ताह-एक प्रयोगशाला" के शुभारंभ अवसर पर शिक्षाविद, शोधकर्ता, उद्योगपति, उद्यमी, स्टार्ट-अप, स्कूल और कॉलेज के छात्र और आम जनता को संबोधित कर रहे थे। एम्प्री की गतिविधियों पर केन्द्रित फिल्म का प्रदर्शन और वन वीक वन लेब पुस्तिका का लोकार्पण किया गया। संस्थान द्वारा उद्यम के साथ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए दस्तावेज का विनिमय भी किया गया।
राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा है कि दुनिया में आज वही राष्ट्र और समाज आगे होगा, जो तकनीकी ज्ञान में दूसरों की तुलना में आगे रहेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हमारे नागरिकों की सोच और समाज का वातावरण वैज्ञानिक हो, इसके लिए बहुआयामी प्रयास किए हैं। जय जवान-जय किसान-जय विज्ञान को आगे बढ़ाते हुए जय अनुसंधान के द्वारा देश में विज्ञान और अनुसंधान के लिए मज़बूत वातावरण निर्मित किया है। उन्होंने नई शिक्षा नीति के द्वारा समग्र, अनुसंधान, चर्चा और विश्लेषण आधारित शिक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने का क्रांतिकारी कार्य किया है।
नई शिक्षा नीति में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स जैसे व्यावहारिक विज्ञान के विषयों को ज्ञान की अन्य शाखाओं से जोड़ा गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इंटरएक्टिव प्रयोगशालाओं के जरिए विज्ञान को मज़ेदार, रोचक और जानकारी पूर्ण बनाते हुए, बचपन से ही बच्चों में वैज्ञानिक शिक्षा के प्रति रूझान बढ़ाने का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण और विवेक पूर्ण सोच विकसित करने में सी.एस.आई.आर जैसी संस्थाओं और वैज्ञानिकों का आगे आना सराहनीय पहल है।
राज्यपाल पटेल ने कहा कि आज़ादी का अमृत उत्सव राष्ट्र के अतीत के गौरव से युवाओं को परिचित और आज़ादी के 100 वर्षों की पूर्णता पर राष्ट्र के भविष्य निर्माण के लिए प्रतिबद्ध भावी पीढ़ी तैयार करने का संकल्प है। इस प्रसंग में सी.एस.आई.आर. एम्प्री को पिछले वर्षों की यात्रा का अभिलेखन कर, वर्ष 2047 के लिए एक विजन विकसित करना चाहिए।
सी.एस.आई.आर. एम्प्री के निदेशक डॉ. अवनीश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि सप्ताह के दौरान 14 से 18 मई तक अलग-अलग तरह के 10 कार्यक्रम किये जायेंगे। इसका उद्देश्य प्रयोगशाला के शोध को आमजन तक पहुँचाना है। उन्होंने बताया कि रीजनल रिसर्च लेबोरेटरी के रूप में 14 मई 1981 को संस्थान की नई दिल्ली में स्थापना हुई थी, जिसे वर्ष 1983 में भोपाल स्थानांतरित कर दिया गया। वर्ष 2007 में भविष्यवादी दृष्टिकोण के साथ संस्थान का पुनर्गठन किया गया। संस्थान के 100 वैज्ञानिकों और तकनीशियनों की टीम निरंतर डिजिटल एवं हरित परिवर्तनों में अपनी भूमिका के प्रभावी निर्वहन के लिए शोध एवं अनुसंधान कार्य कर रही है।
सी.एस.आई.आर. एम्प्री के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. मोहम्मद अकरम खान ने आभार माना। प्रारम्भ में राज्यपाल पटेल ने आयोजन स्थल पर प्रयोगशाला के शोध एवं अनुसंधान कार्यों पर केन्द्रित प्रदर्शनी का अवलोकन किया। स्टाल पर अनुसंधानों के व्यवहारिक उपयोग और वाणिज्यिक संभावनाओं संबंधी जानकारी प्राप्त की।