भोपाल
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भाजपा को जिस तरह हार का सामना करना पड़ा है उसके बाद राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा जोर पकड़ने लगी है कि इसका असर मप्र में कितना होगा? कर्नाटक के चुनाव परिणाम क्या मप्र में कांग्रेस को मजबूती देंगे, इसको लेकर तरह-तरह की चर्चाएं सामने आ रही है, लेकिन इस बीच पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व से लेकर प्रदेश संगठन अलर्ट मोड पर आ गए हैं और प्रदेश भाजपा सरकार भी पूरी मुस्तैदी के साथ जनता के बीच आने वाले समय में पहुंचेगी।
कर्नाटक में भाजपा की हार की समीक्षा के बाद जिन मुद्दों पर पार्टी से गलती हुई है वैसी कोई गलती प्रदेश में न हो इसको लेकर भी काम किया जाएगा। पार्टी सूत्रों के अनुसार कर्नाटक में बीजेपी की हार के पीछे जो आधा दर्जन कारण महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं उनमें कर्नाटक में भ्रष्टाचार पर रोक न लग पाना, जातीय और क्षेत्रीय समीकरण के हिसाब से समाज और समुदाय के लोगों के साथ संवाद नहीं कर पाना और वोटों के ध्रुवीकरण के साथ सत्ता विरोधी लहर की काट नहीं तलाश पाना बड़े कारण हैं। साथ ही वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी भी यहां भारी पड़ी है। प्रदेश में शिवराज सरकार और बीजेपी संगठन पहले से ही एससी और एसटी वर्ग के लोगों को साधने के लिए काम कर रहा है।
सरकार ने दोनों ही वर्गों के युवाओं और लोगों के सामाजिक जीवन में बदलाव लाने के लिए आधा दर्जन नई योजनाएँ शुरू की हैं। पेसा एक्ट लागू करने के साथ संत रविदास के मंदिर निर्माण पर सौ करोड़ खर्च किए जा रहे हैं। ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण का लाभ दिलाने के लिए पार्टी लगातार काम कर रही है। इसके साथ ही सभी समाज के लोगों के साथ सीएम शिवराज और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा समेत पूरी पार्टी संवाद में जुट गई है।
भाजपा की प्रयोगस्थली है मध्यप्रदेश
प्रदेश में भाजपा चुनाव को लेकर छह माह पहले से ही इतनी गंभीर है कि पार्टी के राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश, क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल, प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव के अलावा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा दो से तीन दौर की विजिट हर जिलों में कर चुके हैं। इसके अलावा केंद्रीय मंत्रियों और पार्टी के प्रदेश पदाधिकारियों के प्रवास और दौरे भी हो रहे हैं जिसकी मानीटरिंग संगठन कर रहा है। बूथ जीता चुनाव जीता संकल्प को साकार करने के लिए ये सभी नेता जिला मुख्यालय ही नहीं बल्कि मंडल और विधानसभा स्तर पर बूथ कार्यकर्ताओं, बूथ त्रिदेव और शक्ति केंद्र स्तर पर गठित कमेटियों के साथ संवाद कर रहे हैं।
इन्हें बूथ में वोटर से संपर्क के साथ केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं के प्रचार प्रसार और सोशल मीडिया में इसके लिए कैम्पेनिंग तक के गुर सिखाए जा रहे हैं। अब कर्नाटक चुनाव परिणामों के बाद इसमें और सुधार के साथ नए सिरे से प्रवास और बैठकों पर जोर दिया जाएगा।