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कर्नाटक में कांग्रेस की जीत में विपक्ष को दिखने लगा 2024 का भविष्य, ममता से महबूबा तक जानें क्या बोले विपक्षी नेता?

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कर्नाटक
कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी की करारी हार पर विपक्ष ने हमला बोला है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के परिणामों पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि यह साल 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा के अंत की शुरूआत है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक के बाद छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में भी भाजपा को हार का सामना करना पड़ेगा।

ममता बनर्जी ने कहा कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में ‘‘क्रूर अधिनायकवादी और बहुसंख्यकवादी'' राजनीति पराजित हुई है। उन्होंने राज्य के लोगों को बधाई देते हुए कहा, ‘‘परिवर्तन के पक्ष में निर्णायक जनादेश के लिए कर्नाटक के लोगों को मेरा सलाम। क्रूर अधिनायकवादी और बहुसंख्यकवादी राजनीति को पराजित किया गया है।'' तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख बनर्जी ने ट्वीट किया, ‘‘जब लोग बहुलता और लोकतांत्रिक ताकतों को जिताना चाहते हैं, तो कोई भी उन्हें दबा नहीं सकता, यही कहानी की सीख है। कल के लिए सबक है।''

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष एवं जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजों को ‘उम्मीद की किरण' बताते हुए शनिवार को कहा कि उम्मीद है कि देश के शेष हिस्से भी ‘सांप्रदायिकता की राजनीति' को खारिज करेंगे और विकास व समृद्धि के लिए मतदान करेंगे।

महबूबा ने कहा,‘‘भाजपा ने अपनी आदत के अनुसार चुनाव को सांप्रदायिक बनाने की पूरी कोशिश की। यहां तक कि बजरंगबली, धर्म और हिंदू-मुस्लिम विवाद का भी सहारा लिया। प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) ने धार्मिक आधार पर भाषण देने की कोशिश की। इसके बावजूद लोगों ने इन मुद्दों को किनारे रखते हुए विकास को चुना, जिसे कांग्रेस ने अपने चुनाव प्रचार अभियान में प्रमुखता दी थी। ।'' उन्होंने कहा कि कर्नाटक के लोगों ने यह संदेश दिया है कि वे हिंदू-मुस्लिम बहस में नहीं उलझना चाहते, बल्कि वे बेरोजगारी, महंगाई और विकास से जुड़े अन्य मुद्दों को प्राथमिकता देंगे।

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सांसद दानिश अली ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद शनिवार को कहा कि दक्षिण भारत के इस राज्य की जनता ने सांप्रदायिक सोच को नकार दिया है और अब 2024 में ऐसे ही जनादेश की उम्मीद है। लोकसभा के सदस्य अली ने ट्वीट किया, ‘‘हिजाब, हलाल, बजरंग बली, समान नागरिक संहिता, लव जिहाद, द केरला स्टोरी… ध्रुवीकरण करने वाला कोई दाव काम न आया। कर्नाटक की जनता ने सांप्रदायिक सोच को सिरे से नकार दिया है।'' उनका कहना था, ‘‘अब देश की बारी है। 2024 में ऐसे ही जनादेश की आशा है।''

आईयूएमएल के केरल के प्रदेश अध्यक्ष सैयद सादिक अली शिहाब थंगल और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव एवं विधायक पी के कुन्हालिकुट्टी ने भी इसी तरह की बात कही। चेन्निथला और आईयूएमएल नेताओं ने कहा कि कर्नाटक में जो हुआ उससे भाजपा अब दक्षिण भारत में सत्ता में नहीं है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के प्रदेश सचिव एम वी गोविंदन ने भी कर्नाटक में मतगणना के रुझानों का स्वागत किया और कहा कि दक्षिण भारत भाजपा से मुक्त हो गया है।

हालांकि, उन्होंने कहा कि यह कांग्रेस की वापसी का संकेत नहीं देता क्योंकि इसका एक प्रमुख शक्ति केंद्र गुजरात था जहां भाजपा के पास प्रचंड बहुमत है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक में लोगों ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की कथित सांप्रदायिक राजनीति के खिलाफ आवाज उठाई है और "यह लोगों की केंद्र विरोधी तथा सांप्रदायिकता विरोधी भावनाओं का संकेत है।" गोविंदन की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए चेन्निथला ने कहा कि माकपा हमेशा चाहती है कि भाजपा जीते। उन्होंने कहा कि वाम दल के पास कर्नाटक में एक सीट थी, और वह भी उसके हाथ से निकल गई।

जनता दल (यूनाइटेड) ने मणिपुर में हुई हालिया हिंसा को लेकर शनिवार को भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा और कहा कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजे के बाद अब भाजपा को समझ लेना चाहिए कि उसकी ‘उन्मादी राजनीति' के दिन पूरे हो गए हैं। पार्टी महासचिव आफाक अहमद खान ने सवाल भी किया कि मणिपुर हिंसा पर प्रधामंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने कोई संवेदना प्रकट क्यों नहीं की? उन्होंने एक बयान में कहा, ‘‘बिहार, झारखंड और राजस्थान जैसे राज्यों में मामूली आपराधिक वारदात होने पर भी भाजपा के लोग आरोप मढ़ने लगते हैं, लेकिन मणिपुर में हुई इतनी भीषण हिंसा पर भी प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री शाह के मुंह से संवेदना का एक शब्द नहीं निकला।''

शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता संजय राउत ने शनिवार को कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पराजय को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की हार करार दिया। राउत ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘बजरंग बली की गदा भाजपा पर पड़ी है।'' कांग्रेस ने कर्नाटक के लिए अपने चुनावी घोषणापत्र में चरमपंथी संगठनों पर नकेल कसने का वादा किया था और प्रतिबंधित इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की युवा शाखा बजरंग दल का भी इसी संदर्भ में जिक्र किया था। राउत ने कहा, ‘‘यह मोदी और शाह की हार है।'' उन्होंने कहा कि कर्नाटक में जो कुछ हुआ है, ठीक वैसा ही 2024 के लोकसभा चुनाव में भी होगा।