नई दिल्ली
सनराइजर्स हैदराबाद के विकेटकीपर-बल्लेबाज हेनरिक क्लासेन पर शनिवार को लखनऊ सुपरजायंट्स के खिलाफ मैच के दौरान आईपीएल आचार संहिता का उल्लंघन करने पर मैच फीस का 10 प्रतिशत जुर्माना लगाया गया। क्लासेन की 29 गेंद में 47 रन की पारी से हैदराबाद ने छह विकेट पर 182 रन बनाए थे लेकिन लखनऊ ने 19.2 ओवर में तीन विकेट पर लक्ष्य हासिल कर लिया।
क्लासेन ने नोबॉल नहीं दिए जाने पर मैदानी अंपायर से बहस करने के बाद प्रसारकों से बातचीत के दौरान भी इसे लेकर नाराजगी जताई थी। आईपीएल से जारी विज्ञप्ति के मुताबिक, '' क्लासेन ने अनुच्छेद 2.7 के तहत 'लेवल एक' के अपराध को स्वीकार कर लिय। यह अपराध आईपीएल की आचार संहिता में सार्वजनिक आलोचना/अनुचित टिप्पणी के उपयोग को लेकर है।''
आवेश खान ने अब्दुल समद को गेंद बीमर की तरह फेंकी और मैदानी अंपायर अक्षय तोत्रे ने इसे नो-बॉल नहीं करार दिया। सनराइजर्स हैदराबाद ने इसके बाद डीआरएस लिया लेकिन तीसरे अंपायर ने भी इसे वैध गेंद करार दिया। क्लासेन की अंपायर से बहस के बाद दर्शकों के खराब बर्ताव के कारण मैच कुछ देर के लिए रुका रहा। दक्षिण अफ्रीका के इस विकेटकीपर बल्लेबाज ने प्रसारकों से बातचीत पर दर्शकों के व्यवहार के साथ अंपायरों के फैसले पर भी निराशा जताई। उन्होंने कहा, '' ईमानदारी से कहूं तो दर्शकों से निराशा हुई। आप ऐसा नहीं चाहते है। इससे मेरी बल्लेबाजी की लय बिगड़ गयी। अंपायरिंग भी अच्छी नहीं थी।'' इसी मैच में लखनऊ सुपरजाइंट्स के अनुभवी भारतीय स्पिनर अमित मिश्रा को भी आईपीएल की आचार संहिता के उल्लंघन के लिए फटकार लगाई गई थी।
बयान के मुताबिक, ''लेग स्पिनर ने आईपीएल की आचार संहिता के अनुच्छेद 2.2 के तहत 'लेवल 1' के अपराध को स्वीकार किया लिया। इसमें मैच के दौरान उपकरणों के दुरुपयोग की बात कही गई है। मिश्रा ने अपनी गलती को स्वीकार कर ली।'' आईपीएल के बयान के मुताबिक आचार संहिता के 'स्तर एक' के उल्लंघन के लिए मैच रेफरी का निर्णय अंतिम और बाध्यकारी होता है।