केंद्र सरकार छूट और एक्सक्लूसिव बिक्री के जरिये बाजार को बिगाड़ने के खेल पर शिकंजा कसने के बाद नई ई-कॉमर्स नीति लाने की तैयारी कर रही है। हालांकि कंपनियों ने नए एफडीआई नियमों की तरह इस पर भी सरकार से मोहलत मांगी है। अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि ई -कॉमर्स कंपनियों ने कहा है कि नई नीति पर अपनी राय देने के लिए सरकार से उन्हें और मोहलत मिलनी चाहिए। इसकी अंतिम तिथि सरकार ने अभी नौ मार्च रखी है। मालूम हो कि सरकार ने नए एफडीआई नियमों को लागू करने की समय सीमा बढ़ाने का अनुरोध ठुकरा दिया था। इसके बाद फ्लिपकार्ट, अमेजन जैसी आॅनलाइन शॉपिंग कंपनियों को एक फरवरी से अपने बाजार मॉडल में बदलाव करना पड़ा था। उन पर किसी भी उत्पाद की एक्सक्लूसिव बिक्री करने पर रोक लग गई थी। साथ ही सरकार ने आॅनलाइन शॉपिंग कंपनियों पर उन कंपनियों के उत्पाद की बिक्री पर रोक लगा थी, जिनमें ई कॉमर्स कंपनियों की हिस्सेदारी 25 फीसदी से ज्यादा थी। नई ई कॉमर्स नीति के तहत इन कंपनियों द्वारा ग्राहकों के डाटा की सुरक्षा और उसके व्यावसायिक इस्तेमाल को लेकर तमाम पाबंदियां लगाए जाने का प्रस्ताव है। इसके तहत सरकार पूरे ई-कॉमर्स क्षेत्र के लिए नियामक भी बना सकती है, जो खरीदारी या उत्पादों की गुणवत्ता की शिकायतों पर ध्यान देगा। उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग ने नई नीति का मसौदा तैयार किया है। इसके तहत विभिन्न संबंधित पक्षों से सलाह मशविरा किया जा रहा है। सरकार ने ई कॉमर्स नीति के 41 पेज के मसौदे में छह बड़े मुद्दों पर ध्यान दिया है। इसमें ग्राहकों के डाटा का इस्तेमाल, आॅनलाइन शॉपिंग से जुड़ी कंपनियों का बाजार, बुनियादी ढांचा, नियामकीय मुद्दा और डिजिटल अर्थव्यवस्था जैसे बड़े मामले शामिल हैं। सरकार यह भी विचार कर रही है कि कैसे आॅनलाइन शॉपिंग कंपनियों के जरिये निर्यात को बढ़ावा दिया जा सके।