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कीर्ति चक्र से सम्मानित बस्तर के बेटे शहीद श्रवण कश्यप ने बचपन से ही देखा था देश सेवा का सपना

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रायपुर

बचपन से देश सेवा का सपना देखने वाले मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित शहीद श्रवण कश्यप बचपन से ही अनुशासन प्रिय थे। उनके शिक्षक आज भी उन्हें एक अच्छे छात्र के रूप में याद करते हैं। जगदलपुर जिला मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूर बनियागांव उनका पैतृक गांव है। जहां उनकी शहादत के सम्मान में उनकी मूर्ति लगाई गई है। बस्तर अंचल के युवा उनके बलिदान से देश सेवा की प्रेरणा ले रहे हैं।

बस्तर के बेटे श्रवण कश्यप 3 अप्रैल 2021 को एक नक्सल आपरेशन में शहीद हो गए थे। यह आपरेशन बीजापुर जिले के टेकलगुड़ेम में हुआ था। इस आपरेशन में सर्वोच्च साहस और बलिदान के लिए राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने 9 मई को कीर्ति चक्र से सम्मानित किया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बस्तर के बेटे श्रवण कश्यप और उनके परिवारजनों के प्रति सम्मान व्यक्त किया और उनके साहस की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि नक्सल आपरेशन में सर्वाेच्च साहस और बलिदान के लिए उन्हें कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया है।

बस्तर के बेटे श्रवण कश्यप को राष्ट्रपति के हाथों कीर्ति चक्र से सम्मानित होने की खबर जब उनके पैतृक गांव पहुंची। तब उनके बचपन के दोस्त दयाराम गोयल के आंखों में आंसू आ गए। उन्होंने रूंधे गले से बताया कि बनियागांव में बचपन में साथ खेले-बढ़े। बचपन से ही श्रवण में देश सेवा के लिए जज्बा था। वे सबकी मद्द के लिए तैयार रहते थे। दयाराम गोयल बताते हैं कि श्रवण ने अपने परिवार को गरीबी से निकाला। वे कहते हैं कि गांव के चौराहे पर जब भी वे जाते हैं उन्हें लगता है कि श्रवण ही खड़े हैं। वे बचपन से ही देश सेवा करना चाहते थे और उन्होंने ऐसा ही किया। कीर्ति चक्र के बारे में बात करते हुए दयाराम कहते हैं कि पूरे गांव को उन पर गर्व है।

बनियागांव के बाहर ही प्राथमिक स्कूल है, जहां से श्रवण ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई पूरी की। इस स्कूल के शिक्षक हतिमराम बागरे ने श्रवण के बारे में कहा कि वे बचपन में भी काफी अनुशासन प्रिय थे। बनियागांव स्कूल के लिए गर्व की बात है कि उनके श्रवण ने देश के लिए बलिदान दिया। गांव के ही 60 वर्षीय महादेव ने बताया कि, वे श्रवण को बचपन से जानते हैं और वे अपने माता पिता और बड़े भाई के लिए सहारा थे।

गौरतलब है कि राष्ट्रपति शद्रौपदी मुर्मू ने नक्सल आपरेशन में अद्म्य साहस और सर्वोच्च बलिदान के लिए छत्तीसगढ़ के जिन तीन जवानों को कीर्ति चक्र से सम्मानित किया। उनमें बस्तर के बेटे श्री श्रवण कश्यप भी शामिल हैं। वे एसटीएफ में प्रधान आरक्षक के पद पर सेवाएं दे रहे थे। राष्ट्रपति भवन में आयोजित गरिमामय समारोह में राष्ट्रपति के हाथों उनकी धर्मपत्नी श्रीमती दुतिका कश्यप ने कीर्ति चक्र ग्रहण किया।