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युवाओं में बढ़ते हार्ट अटैक बने चिंता का कारण

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हृदय रोग और हार्ट अटैक्स सबसे अधिक प्रचलित गम्भीर स्वास्थ्य स्थितियां हैं जिनके कारण दुनियाभर में लाखों लोग प्रभावित हो रहे हैं। पारंपारिक दृष्टि से वे अधिक वयस्क व्यक्तियों से जुड़े हुई थी, लेकिन समय के साथ अब युवाओं को भी वे प्रभावित कर रही हैं और बीस से थोड़ी अधिक उम्र के युवा भी इससे प्रभावित हो रहे हैं।

यह भारतीय और दक्षिण एशिया के निवासियों के लिए और भी अधिक लागू होता है। डॉ. अनिश चंदराना, सिनियर इंटरवेंशनल कार्डिओलॉजिस्ट, मरेंगो सिम्स अस्पताल का कहना है कि हाल ही में हुए अनुसंधान के अनुसार हृदय रोग में दुनिया में जितने पीड़ित व्यक्ति हैं, उनमें से लगभग 50-60% प्रतिशत हमारे देश में हैं।

कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि पीछले कुछ वर्ष और महिनों में देशभर के हॉस्पिटल्स ने अपने इमर्जन्सी वॉर्डस में हार्ट अटैक्स के मामलों में 15 से 20% बढोतरी दर्ज की हैे हार्ट अटैक से युवा लक्षणीय अनुपात में प्रभावित हो रहे हैं और हृदय का बन्द होना और आकस्मिक मौत जैसे गम्भीर परिणाम भी इसमें पाए जा रहे हैं। दुर्भाग्यवश हम भारतीयों में एथेरोस्क्लेरोसिस विकसित होने की जेनेटिक दृष्टि की संभावना पश्चिमी जगत और जापानियों के मुकाबले बहुत कम उम्र में पायी जाती हैं। सिर्फ उतना ही नही, बल्कि यह रोग तेजी से बढ़ता है और दुनिया के अन्य समूहों के मुकाबले 10- 15 साल पहले ही इस कारण हार्ट अटेक्स आते हैं। नियमित व्यायाम अभाव, निम्न मानसिक- सामाजिक सहयोग, जीवन के तनावों का सामना करने में सक्षम होने का अभाव, भावनात्मक अस्वस्थताएं, तम्बाकू और नशीले पदार्थों का बढ़नेवाला अनुपात, स्वास्थ्य के लिए हानिकारक ढंग से मद्यसेवन और कार्य जीवन में सन्तुलन की कमी ये जोखिम के ऐसे अहम पहलू है जिससे युवा भारतीयों में हृदय रोगों में नाटकीय ढंग से बढ़ोतरी हो रही हैं।

हृदय रोग और हार्ट एटैक्स के प्रतिबन्ध के लिए युवा वयस्कों को समझना चाहिए कि इस खतरनाक रोग के लिए कोई ‘समय सीमारेखा’ या ‘सुरक्षित उम्र’ नहीं है। 18 की उम्र से या उसके भी पहले से हर एक को नियमित रूप से स्वास्थ्य जांचें करनी चाहिए। उपर बताए गए जोखिम के पहलूओं के बारे में उन्हें जानकारी होनी चाहिए। जोखिम के पहलूओं में सुधार करने के लिए उनकी जोखिम क्या होती हैं और कितने स्तर तक हैं, यह अनिवार्य रूप से समझना चाहिए।

हृदय रोग को टालने का एक महत्त्वपूर्ण कदम स्वस्थ वजन को बनाए रखना है। अतिरिक्त वजन या मोटे होने से उच्च रक्त चाप, अधिक कोलेस्टेरॉल और डायबिटीज होने की सम्भावना बढ़ती है और ये सब हृदय रोग के मुख्य जोखिम के पहलू हैं। हृदय के लिए स्वस्थ वनस्पति आधारित आहार और नियमित व्यायाम ये हृदय रोग को टालने में बेहद महत्त्वपूर्ण होते हैं। इससे वजन सही रहता है, रक्त चाप कम होता है, कोलेस्टेरॉल का अनुपात कम होता है और कुल कार्डिओवस्क्ल्युलर स्वास्थ्य में सुधार होता है।