मांडू
मध्यप्रदेश की ऐतिहासिक नगरी मांडू इन दिनों अपनी विरासत खोती जा रही है। मांडू की पहचान कही जाने वाली खुरासानी इमली के पेड़ों को बड़े पैमाने पर काटा जा रहा है। इससे यहां के ग्रामीणों में खासा रोष है। उनका कहना है कि ये पेड़ माडूं की धरोहर हैं।
वहीं वनविभाग और राजस्व विभाग ने एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराते हुए मौन धारण कर लिया है। गौरतलब है कि देश में खुरासानी इमली के पेड़ सिर्फ मांडू में पाए जाते हैं, जो अपने विशिष्ट स्वाद और आकार के कारण दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं। दुनियाभर में इनकी सात प्रजातियां होती हैं। इनमें से एक मांडू में मिलती है।
ग्रामीणों ने रोक रखे हैं ट्राले
हैदराबाद के रामदेव राव पिछले साल 10 से ज्यादा पेड़ हैदराबाद ले जा चुके हैं। इस साल भी उन्होंने चार से पांच पेड़ ट्रालों में लाद रखे हैं, लेकिन ग्रामीणों के विरोध के चलते वे इसे नहीं ले जा पाए।
अनुमतियों को लेकर संशय
वन विभाग, राजस्व विभाग और प्रशासन के अधिकारी खुरासानी इमली के पेड़ों की शिफ्टिंग की अनुमतियों को लेकर संशय की स्थिति में हैं। उधर, रामदेव राव का दावा है कि उसे अनुमति मिली है, लेकिन कोई भी इसकी पुष्टि नहीं कर रहा है।
पेसा एक्ट का उल्लंघन
पेसा एक्ट के अनुसार किसी भी वनोपज या वन संपदा के परिवहन के लिए ग्राम सभा की अनुमति जरूरी होती है, लेकिन इस मामले में ऐसी कोई जानकारी सामने नहीं आई है।
मेरे पास सभी जरुरी अनुमति हैं। पिछले साल भी मैं यहां से अपने पार्क के लिए खुरासानी ईमली के पेड़ ले गया था। बारिश के कारण कुछ पेड़ रह गए थे, जिन्हें मैं अब लेने आया हूं लेकिन कुछ लोग मुझे पेड़ नहीं ले जाने दे रहे हैं। इस सबंध में वर्तमान कलेक्टर साहब से चर्चा होना हैं।
रामदेव राव, पार्क मालिक