लाहौर
‘पाकिस्तान के तीन हिस्से हो जाएंगे, मुल्क आत्महत्या करने की ओर जा रहा है…’ये शब्द पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और उस शख्स के मुंह से 11 महीने पहले निकले थे, जो आज इस देश से उठ रही खौलती लपटों का कारण है. इन लपटों से उठ रही चेतावनियों को इमरान लगभग साल भर पहले ही एक टीवी इंटरव्यू में बता चुके थे.
इमरान खान ने तब कहा था, ‘अगर इस वक्त संस्थाएं सही फैसला नहीं करेंगी, मैं आपको लिखित में देता हूं कि ये भी तबाह होंगे. फौज सबसे पहले तबाह होगी. क्योंकि मुल्क बैंककरप्ट होगा. किधर जाएगा मुल्क मैं आपको बता देता हूं. ये जबसे आए हैं रुपया गिर रहा है. स्टॉक मार्केट क्रैश हो रहा है. चीजें महंगी हो रही हैं. पाकिस्तान डिफॉल्ट की तरफ जा रहा है. अगर हम डिफॉल्ट कर जाते हैं तो सबसे बड़ा संस्थान कौन सा है जो हिट होगा. पाकिस्तानी फौज. जब फौज हिट होगी तो हम से क्या कंसेशन लिया जाएगा, जो यूक्रेन से लिया गया. हमारी परमाणु ताकत. सबसे बड़ी तकलीफ उनको है कि ये इकलौता मुस्लिम मुल्क है, जिसके पास परमाणु शक्ति है. जब वो चला जाएगा, फिर क्या होगा.’
इस टिप्पणी के अंत में इमरान ने जो शब्द कहे वो इस लेख के शुरुआती अल्फाज और सार भी हैं. आज भारत के पड़ोसी मुल्क से उठ रही लपटों में ये संदेश और भी प्रमाणित हो रहा है. इमरान की हर कही बात सच साबित हो रही है. पाकिस्तान जल रहा है. इन लपटों से ठीक पहले आई रेटिंग एजेंसी मूडी की चेतावनी. जिसमें बताया गया कि अगर अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष यानी IMF पाकिस्तान को कर्जा नहीं देता है तो ये मुल्क जून में ही डिफॉल्ट घोषित हो सकता है.
ये खबर पाकिस्तान में फैली ही नहीं थी कि देश इमरान की गिरफ्तारी को लेकर जल उठा. सेना के कई संस्थानों पर हमले हुए और अब सेना भी वही तर्क देने लगी, जो इमरान ने 11 महीने पहले दिए थे. मुल्क के टूटने की साजिश के. लेकिन ये साजिश है या खुद पाकिस्तान द्वारा पैदा किए हालात इसकी कहानी खुद पाकिस्तान दशकों से कह रहा है.
‘न कापी न कापी, पाकिस्तान न कापी’
जिन तीन टुकड़ों में पाकिस्तान के टूटने की भविष्यवाणी इमरान ने की थी, उनमें से सबसे पहला टुकड़ा है सिंध. इस इलाके में “न कापी न कापी, पाकिस्तान न कापी” (हमें पाकिस्तान नहीं चाहिए) और “तुहिंजो देश, मुहिंजो देश, सिंधू देश, सिंधू देश” (तुम्हारा देश, मेरा देश, सिंध देश, सिंध देश) के नारे सुनाई देते हैं. पाकिस्तान के संघीय बजट में सिंध से 80 फीसदी योगदान आता है. देश की कुल गैस और तेल का उत्पादन 70 फीसदी तक इसी इलाके से है, लेकिन यहां के लोगों के हालात पंजाब की तुलना में काफी बदतर हैं. पंजाब के प्रभाव में दबा या कहें गुलामों की जिंदगी जीने वाला सिंध लगातार मार्च 1940 के उस समझौते की याद पाकिस्तान को दिलाता है, जिसमें संघीय इलाकों के स्वशासन का वादा किया गया था. इसी समझौते की कमजोरी पर सिंध आजादी की मांग कर रहा है.
जलता बलूचिस्तान
दूसरा टुकड़ा है बलूचिस्तान का. क्षेत्रफल की दृष्टि से पाकिस्तान के इस सबसे बड़े राज्य बलूचिस्तान की सीमा अफगानिस्तान और ईरान से लगी हुई है. खनिज संपन्न इस इलाके के लोगों की शिकायत हमेशा से रही है कि इतना संपन्न होने के बाद भी इन खनिजों का लाभ यहां के स्थानीय लोगों को कभी नहीं मिला. इस इलाके में लगे प्लांट्स से पूरे पाकिस्तान में चूल्हे जलते हैं, लेकिन यहां के लोग भूखे हैं. बलूच लोग खुद को सांस्कृतिक तौर पर भी पाकिस्तान के बाकी हिस्सों से अलग मानते रहे हैं. अपनी पहचान को लेकर इस इलाके से अलग मुल्क बनाने की मांग उठती रही हैं और ये इलाका इस मांग के चलते कई बार दहला भी है.
पश्तूनों का पख्तूनख्वाह
जिस तीसरे टुकड़े के बारे में इमरान ने बात की वो है खैबर पख्तूनख्वाह. इमरान की गिरफ्तारी के बाद सबसे ज्यादा जलने वाला राज्य खैबर पख्तूनख्वाह ही है. पश्तून बहुल आबादी वाला ये इलाका इमरान को अपना खून मानता है. वहीं अफगानिस्तान से सटे इस इलाके पर तालिबान भी अपना दावा ठोकता रहा है. वो पाकिस्तान और अफगानिस्तान को बांटने वाली दुरंद लाइन को भी नहीं मानता. कबीलाई इलाकों वाले FATA को पाकिस्तान ने इस राज्य में मिला दिया है, जो पहले ही खुद को अपनी सांस्कृतिक विरासत के तौर पर पाकिस्तान से अलग मानते रहे हैं.
तीन दशक पहले जिस कप्तान के हाथ में क्रिकेट विश्व कप की ट्रॉफी देख जश्न में जनता सड़कों पर थी, आज वो ही जनता उसी कप्तान की गिरफ्तारी के खिलाफ सड़कों पर है. इस बार माहौल जश्न का नहीं जंग का है. पहले ही कंगाली की हालत में पड़े पाकिस्तान में दंगों के इस माहौल से आर्थिक हालात और बिगड़ जाएंगे. वहीं पड़ोस में मजबूत होते तालिबानी शासन और सरकार का फौज से उठता भरोसा पाकिस्तान को ठीक वैसे ही टुकड़ों में तोड़ सकता है, जैसा 70 के दशक की शुरुआत में पूर्वी पाकिस्तान का हाल हुआ था और बांग्लादेश बना.
‘पाकिस्तान के तीन हिस्से हो जाएंगे, मुल्क आत्महत्या करने की ओर जा रहा है…’ये शब्द पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और उस शख्स के मुंह से 11 महीने पहले निकले थे, जो आज इस देश से उठ रही खौलती लपटों का कारण है. इन लपटों से उठ रही चेतावनियों को इमरान लगभग साल भर पहले ही एक टीवी इंटरव्यू में बता चुके थे.
तीन दशक पहले जिस कप्तान के हाथ में क्रिकेट विश्व कप की ट्रॉफी देख जश्न में जनता सड़कों पर थी, आज वो ही जनता उसी कप्तान की गिरफ्तारी के खिलाफ सड़कों पर है. इस बार माहौल जश्न का नहीं जंग का है. पहले ही कंगाली की हालत में पड़े पाकिस्तान में दंगों के इस माहौल से आर्थिक हालात और बिगड़ जाएंगे. वहीं पड़ोस में मजबूत होते तालिबानी शासन और सरकार का फौज से उठता भरोसा पाकिस्तान को ठीक वैसे ही टुकड़ों में तोड़ सकता है, जैसा 70 के दशक की शुरुआत में पूर्वी पाकिस्तान का हाल हुआ था और बांग्लादेश बना.