नई दिल्ली
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अगुआई में बुधवार को हुई न्यू दिल्ली म्यूनिसिपल काउंसिल (एनडीएमसी) की बैठक काफी हंगामेदार रही। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्यों की ओर से मुख्यमंत्री आवास पर कथित तौर पर खर्च हुए 45 करोड़ रुपए का मुद्दा उठाया तो काफी शोर-शराबा हुआ। इसकी वजह से मीटिंग करीब आधे घंटे में ही खत्म हो गई। भाजपा का कहना है कि मुख्यमंत्री सवालों का जवाब नहीं दे पाए और इसलिए बैठक से भाग गए।
बैठक शुरू होते ही भाजपा नेता और काउंसिल के वॉइस चेयरपर्सन सतीश उपाध्याय, कुलचीत चहल और विशाखा सैलानी ने मुख्यमंत्री आवास पर खर्च को लेकर सवाल दागने शुरू कर दिए। इसके बाद मीटिंग में हंगामा होने लगा। आमतौर पर जो बैठक 2-3 घंटे चलती है वह आधे घंटे से पहले भी खत्म हो गई। बैठक के बाद सतीश उपाध्याय ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में केजरीवाल पर सवालों से भागने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, 'पहली बार है जब एनडीएमसी की बैठक में व्यवधान हुआ। हमने मुख्यमंत्री आवासा के रेनोवेशन पर हुए भारी-भरकम खर्च और भ्रष्टाचार के मुद्दों को उठाया। लोगों ने टैक्स दिया है और उनके पैसे का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है।'
एनडीएमसी सदस्य चहल ने कहा कि एनडीएमसी के इतिहास में पहली बार इस तरह हंगामा हुआ। चहल ने कहा, 'केजरीवाल ने वादा किया था कि जीतने के बाद वह ऐसी कोई सुविधा नहीं लेंगे। हमने मीटिंग में उनकी घर की तस्वीरें दिखाईं और खर्च को लेकर सवाल किए। वह हमें घूरते रहे, लेकिन एक भी जवाब नहीं दिया।' भाजपा की ओर से लगाए गए आरोपों पर मुख्यमंत्री कार्यालय या आप सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई। हालांकि, इससे पहले आप ने कहा है कि मुख्यमंत्री आवास निजी संपत्ति नहीं है, बल्कि चुने हुए मुख्यमंत्री को आवंटित किया जाता है।
भाजपा और कांग्रेस पिछले कुछ दिनों से बंगले मुद्दे को जोरशोर से उठा रही हैं। फ्लैगस्टाफ रोड पर स्थित इस बंगले पर 45 करोड़ रुपए खर्च किए जाने का दावा है। भाजपा और कांग्रेस का आरोप है कि बंगले में 8-8 लाख के पर्दे और एक करोड़ से अधिक के महंगे विदेशी मार्बल लगाए गए हैं। इसे नैतिक रूप से गलत बताते हुए कई नियमों की अनदेखी का आरोप भी लगाया गया है। कांग्रेस नेता अजय माकन की ओर से की गई शिकायत के आधार पर एलजी ने दिल्ली के चीफ सेक्रेट्री से डिटेल रिपोर्ट मांगी है।