महाराष्ट्र
महाराष्ट्र और बिहार अपने दलीय समीकरणों के चलते विपक्षी एकता और भाजपा के लिए भावी चुनौती की दृष्टि से काफी अहम हैं। बीते चुनाव के बाद दोनों राज्यों में एनडीए में टूट हुई है और विपक्षी खेमा मजबूत हुआ है। ऐसे में दोनों राज्यों के विपक्षी खेमे के दो बड़े नेताओं शरद पवार व नीतीश कुमार की मुलाकात काफी मायने रखती है। यह दोनों नेता सिर्फ अपने अपने राज्यों में ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी विपक्षी एकता की धुरी के रूप में काम कर सकते हैं।
महाराष्ट्र व बिहार में लोकसभा की 88 सीटें आती हैं। इनमें से बीते लोकसभा चुनाव में एनडीए ने 80 सीटों पर जीत हासिल की थी। इसमें भाजपा का हिस्सा 40 सीटों यानी आधा का था। भाजपा के साथ दोनों राज्यों में दो पुराने व मजबूत सहयोगी जेडीयू व शिवसेना थे। लेकिन, अब राजनीतिक समीकरण काफी बदल गए हैं और नए राजनीतिक खेमे बन गए हैं। भाजपा के पास न बिहार में कोई मजबूत सहयोगी है और न ही महाराष्ट्र में। दूसरी तरफ विपक्षी खेमे को नए समीकरणों से मजबूती मिली है, जिसमें नीतीश कुमार व उद्धव ठाकरे उसके साथ खड़े हैं। बिहार और महाराष्ट्र की राजनीति बहुदलीय रही है, जिसमें लंबे समय से तीन या अधिक दल प्रभावी रहे हैं। ऐसे में दो बड़े दलों का साथ आना राजनीति को काफी प्रभावित करता है। दोनों राज्यों में भाजपा के लिए तभी लाभ की स्थिति हो सकती है, जबकि विपक्षी खेमे के दल बंटे रहें या भाजपा के साथ इस खेमे का कोई प्रमुख दल साथ आए।
महाराष्ट्र में नए समीकरण
महाराष्ट्र में लंबे समय से भाजपा व शिवसेना और दूसरी तरफ कांग्रेस व राकांपा अलग अलग खेमे की राजनीति करते रहे हैं। बीते विधानसभा चुनाव के बाद बड़े राजनीतिक बदलाव में शिवसेना भाजपा को छोड़कर विरोधी खेमे कांग्रेस व राकांपा के साथ चली गई और सरकार बना ली। हालांकि बाद में भाजपा ने शिवसेना में बड़े विभाजन के साथ सरकार बना ली। इसके बावजूद मौजूदा स्थिति में भाजपा व शिवसेना (शिंदे) के खिलाफ राकांपा, कांग्रेस व शिवसेना (उद्धव) की मिली जुली ताकत ज्यादा भारी पड़ती दिख रही है। ऐसे में आगामी लोकसभा चुनावों में यहां पर गठबंधनों का स्वरूप काफी अहम होगा।
बिहार में भारी भाजपा विरोधी खेमा
बिहार में भी भाजपा के सामने इस बार राजद व जेडीयू गठबंधन की बड़ी चुनौती होगी। भाजपा की एक और सहयोगी लोजपा बंटी हुई है। पिछली बार भाजपा व जेडीयू व लोजपा ने विरोधी खेमे को लगभग साफ कर दिया था। लेकिन, अब समीकरण बदले हुए हैं और इनकी वजह से विपक्ष भी उत्साहित है। दरअसल, बिहार व महाराष्ट्र में विपक्ष की मौजूदा स्थिति उसे इन राज्यों के साथ अन्य राज्यों में भी मजबूती प्रदान करती है। इसकी बजह विपक्षी खेमे के दलों का नेतृत्व है। जेडीयू नेता व बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व राकांपा नेता शरद पवार अपने दलों के बाहर भी काफी सम्मान रखते हैं और प्रभावी भी हैं।