Home देश भारत में साल 2027 तक बैन हो जाएगी डीजल गाड़ियां, पेट्रोलियम मंत्रालय...

भारत में साल 2027 तक बैन हो जाएगी डीजल गाड़ियां, पेट्रोलियम मंत्रालय की सिफारिश

1

 नईदिल्ली

भारत को आगामी 2027 तक पूरी तरह डीजल गाड़ियों पर पूरी तरह से प्रतिबंध (Diesel Vehicle Ban) लगा देना चाहिए और डीजल गाड़ियों के बजाय लोगों को इलेक्ट्रिक और गैस से चलने वाले वाहनों पर फोकस करना चाहिए. ये सुझाव पेट्रोलियम मंत्रालय द्वारा गठित एक पैनल ने सरकार को दिया है. पैनल ने शहरों के आबादी के अनुसार डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगाने का प्लान बनाया है. जिसके अनुसार दस लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में इलेक्ट्रिक और गैस से चलने वाले वाहनों पर स्विच करना चाहिए. क्योंकि ऐसे शहरों में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है.

देश में सरकार अब ग्रीन एनर्जी से चले वाले वाहनों को बढ़ावा देने जल्द ही बड़ा फैसला लेने वाली है. हाल में ही एक सरकारी पैनल ने डीजल से चलने वाले चार पहिया वाहनों पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव रखा है. भारत सरकार द्वारा बढ़ते प्रदूषण को कम करने के लिए भारत सरकार पिछले कुछ सालों से लगातार फैसले ले रही है.

बताया गया है कि इस क्रम में सरकार ने पिछले एक अप्रैल 2023 को देश में नए रियल ड्राइविंग इमिशन (आरडीई) बीएस 6 फेज-2 नॉर्म्स को लागू कर दिया है. अब सरकारी पैनल ने 2027 तक डीजल चार पहिया  वाहनों को पूरी तरह से बंद करने का प्रस्ताव रखा है. तेल मंत्रालय के पैनल ने केन्द्र सरकार के सामने 2027 तक डीजल से चलने वाले चार पहिया वाहनों को बंद करने का प्रस्ताव रखा है.

ऐसा माना जा रहा है कि एमिशन को कम करने सरकारी पैनल द्वारा लाए गए इस प्रस्ताव पर सरकार जल्द ही बड़ा फैसला ले सकती है. यदि सरकार ने प्रस्ताव पर मुहर लगा दी तो डीजल से चलने वाले चार पहिया भारत से पूरी तरह से बंद हो जाएगे. सरकार के इस फैसले से डीजल कार बनाने वाली कंपनियों को भी बड़ा झटका लगेगा.

गौरतलब है कि देश को प्रदूषण मुक्त बनाने  सरकार ने पहले भी कई बड़े निर्णय लिए है.  देश में 1 अप्रैल 2023 को न्यू रियल ड्राइविंग रियल ड्राइविंग इमिशन (आरडीई) बीएस 6 फेज-2 नियम लागू होने के बाद भारत से कई डीजल कारों की छुट्टी हो गई. इस नियम के लागू होने के बाद जिन कारों को ऑटो कंपनियों ने अपडेट नहीं किया. उन कारों ने यहां से अपना कारोबार समेट लिया.

तो बंद हो जाएगी ये कारें-

यदि सरकार द्वारा इस नए प्रस्ताव को मंजूरी दे दी जाती है तो डीजल से चले वाली हैरियर, टाटा सफारी, टाटा अल्ट्रोज, टाटा नेक्सन, महिंद्रा एक्सयूवी300, महिंद्रा बुलेरो जैसी कई शानदार कारों का डीजल वैरिएंट बंद हो जाएगा.

इस रिपोर्ट में बताया गया है कि, भारत बड़े पैमाने पर ऊर्जा आयात पर निर्भर नहीं रह सकता है और उसे अपने स्वयं के स्त्रोतों का विकास करना चाहिए. भारत के प्राथमिक ऊर्जा स्रोत कोयला, तेल, प्राकृतिक गैस और परमाणु हैं. हालांकि बायोमास एनर्जी का एक अन्य स्रोत है, लेकिन इसका उपयोग कम हो रहा है. कोयला ग्रिड बिजली के उत्पादन के लिए प्राथमिक ऊर्जा स्रोत है और इसका उपयोग स्टील और सीमेंट जैसे भारी उद्योगों द्वारा किया जाता है. हालांकि कोयला भारत में भारी मात्रा उपलब्ध है, लेकिन अभी भी देश में तेल और गैस के भंडार की खोज किया जानी बाकी है.

2027 तक डीजल गाड़ियों पर प्रतिबंध:

इस रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि, आगामी 2027 तक देश में ऐसे शहर जहां की आबादी 10 लाख से अधिक है या जिन शहरों में प्रदूषण का स्तर ज्यादा है, वहां पर डीजल वाहनों पर पूरी तरह से बैन लगा देना चाहिए. इसके अलावा 2030 तक सिटी ट्रांसपोर्ट में केवल उन बसों को शामिल किया जाए जो कि इलेक्ट्रिक से चलती हैं. पैसेंजर कार और टैक्सी वाहन 50 फीसदी पेट्रोल और 50 फीसदी इलेक्ट्रिक होने चाहिए. बताया जा रहा है कि, 2030 तक इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री 1 करोड़ यूनिट प्रतिवर्ष का आंकड़ा पार कर लेगी.

देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए, रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार को 31 मार्च से आगे के लिए फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक एंड हाइब्रिड व्हीकल्स स्कीम (FAME) के तहत दिए गए प्रोत्साहनों के विस्तार पर विचार करना चाहिए. भारत में लंबी दूरी की बसों को इलेक्ट्रिफाइड करना होगा, हालांकि अभी गैस को 10-15 वर्षों के लिए ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है.
 

डीजल की खपत और वाहनों की उपलब्धता:

भारत में डीजल की मांग काफी ज्यादा रही है, डीजल वर्तमान में भारत के पेट्रोलियम उत्पादों की खपत का लगभग 40% है. डीजल की खपत 2011 में 60.01 एमएमटी से बढ़कर 2019 में 83.53 एमएमटी हो गई थी. हालांकि साल 2020 और 2021 में कोरोना महामारी और ट्रांसपोर्टेशन में आई कमी के चलते खपत क्रमश: 82.60 और 72.71 एमएमटी रही. इसके वित्तीय वर्ष 2023 में 79.3 मिलियन तक पहुंचने की उम्मीद है. पैसेंजर वाहनों में तकरीबन 16.5% डीजल की खपत होती है, जो कि 2013 के 28.5%
के मुकाबले काफी कम हुई है.

मारुति सुजुकी ने पहले ही 2020 में अपने पोर्टफोलियो से डीजल वाहनों को बाहर कर दिया है. जबकि टाटा, महिंद्रा और होंडा ने भी 1.2-लीटर डीजल इंजन का उत्पादन बंद कर दिया है और अब डीजल वैरिएंट केवल 1.5-लीटर या अधिक की इंजन क्षमता वाले वाहनों में ही उपलब्ध है. Hyundai ने साल 2020 में Grand i10 NIOS और Aura मॉडल में 1.2-लीटर BS-VI डीजल वेरिएंट पेश किया, लेकिन 2022 से 1.2-लीटर डीजल वाहनों का उत्पादन बंद कर दिया है. ऐसे में डीजल वाहनों की उपलब्धता बाजार में न होने के कारण डीजल की खपत भी काफी कम हुई है.