तिरुअनंतपुरम
हिंदू और ईसाई लड़कियों का धर्मांतरण करा उन्हें इस्लामिक स्टेट में शामिल कराने की पृष्ठभूमि पर बनी फिल्म 'द केरल स्टोरी' को लेकर विवाद चल रहा है। इस फिल्म को पश्चिम बंगाल ने बैन कर दिया है तो कुछ राज्यों ने टैक्स फ्री भी किया है। इस बीच यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है। फिल्म मेकर्स ने बैन के खिलाफ अर्जी दी है तो कुछ लोगों ने केरल हाई कोर्ट के रोक ना लगाने के फैसले को चुनौती दी है। चीफ जस्टिस की अदालत ने हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली अर्जी पर 15 मई को सुनवाई करने की बात कही है।
इससे पहले 5 मई को केरल हाई कोर्ट ने बैन की मांग खारिज करते हुए कई अहम टिप्पणियां की थीं। जस्टिस एन. नागरेश और जस्टिस सोफी थॉमस की अदालत ने टीजर और फिल्म का ट्रेलर देखने के बाद कहा कि इसमें इस्लाम या फिर मुसलमानों के खिलाफ कुछ भी नहीं है। बेंच ने कहा था कि इसमें आतंकी संगठन ISIS के खिलाफ दिखाया गया है। जजों ने कहा था, 'इस्लाम के खिलाफ क्या है? इसमें किसी मजहब के खिलाफ कुछ नहीं कहा गया है। सारे आरोप इस्लामिक स्टेट पर लगे हैं।'
'कई फिल्मों में हिंदू संन्यासी दिखाए गए बलात्कारी, सवाल तो नहीं उठा'
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था, 'हमने इस फिल्म के ट्रेलर को देखा। हममें इसमें किसी एक मजहब के खिलाफ कुछ नहीं दिखा। याचिका दाखिल करने वालों में से किसी ने भी फिल्म को देखा नहीं है।' यही नहीं अदालत ने इससे आगे टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसी तमाम फिल्में हैं, जिनमें हिंदू संन्यासियों को तस्कर या बलात्कारी दिखाया गया है। लेकिन इस तरह की बातें कभी उन फिल्मों के बारे में नहीं की गईं। यह फिल्म 5 मई को रिलीज हुई थी और बड़ी संख्या में लोग इसे देखने पहुंच रहे हैं।
मद्रास हाई कोर्ट ने भी बैन से किया था इनकार
केरल हाई कोर्ट से पहले मद्रास उच्च न्यायालय ने भी बैन की मांग वाली अर्जी पर सुनवाई से इनकार कर दिया था। वहीं सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि फिल्मों पर बैन की मांग करना सही नहीं है। कोई फिल्म सही है या नहीं, इसे बाजार को ही तय करने देना चाहिए।