तेहरान
एक मानवाधिकार समूह ने दावा किया है कि पिछले 10 दिनों में ईरानी शासन ने औसतन हर 6 घंटे में एक व्यक्ति को फांसी दी है। ईरान ह्यूमन राइट्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, ईरानी अधिकारी 2023 में अब तक 194 लोगों को मौत के घाट उतार चुके हैं। पिछले दो हफ्तों में ईरान में मारे गए 42 लोगों में से आधे कथित तौर पर ईरान-पाकिस्तान सीमा पर बलूचिस्तान क्षेत्र से थे। उन 42 में से ज्यादातर को ड्रग्स के आरोपों में मार दिया गया। ईरानी शासन पर पहले भी मानवाधिकार उल्लंघन के गंभीर आरोप लगते रहे हैं।
डेलीस्टार की खबर के अनुसार एमनेस्टी इंटरनेशनल ने बलूच अल्पसंख्यकों के खिलाफ मौत की सजा के इस्तेमाल में 'चिंताजनक' वृद्धि के बारे में बताया है। अंतरराष्ट्रीय आक्रोश के बावजूद, दोहरी नागरिकता वाले कई ईरानियों को भी मृत्युदंड दिया गया है। स्वीडिश-ईरानी दोहरी नागरिकता वाले हबीब फ़राजुल्लाह चाब को शनिवार को मार दिया गया जिसकी स्वीडन सरकार ने कड़ी निंदा की है। ईरानी प्रॉसेक्यूटर्स ने दावा किया है कि 2018 में खुजिस्तान प्रांत में एक सैन्य परेड में हुए आतंकी हमले के पीछे चाब का हाथ था जिसमें दर्जनों लोगों की मौत हो गई थी।
MI-6 एजेंट बताकर दी फांसी
खबर के अनुसार ईरान के पूर्व उप रक्षा मंत्री अलिर्ज़ा अकबरी को जनवरी में ब्रिटिश सरकार को परमाणु रहस्य देने के आरोप में फांसी दे दी गई थी। ईरान ने दावा किया कि 62 साल के अकबरी एमआई-6 एजेंट थे। हालांकि ब्रिटेन की खुफिया एजेंसी ने कभी भी उनके साथ किसी भी तरह की भागीदारी को स्वीकार नहीं किया। आईएचआर के निदेशक महमूद अमीरी मोघद्दाम ने कहा, 'प्रदर्शनकारियों के खिलाफ मौत की सजा पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाओं ने ईरानी शासन के लिए उन्हें फांसी पर लटकाना मुश्किल बना दिया है।'
2022 में मार दिए गए 582 लोग
उन्होंने कहा, 'लोगों में डर फैलाने के लिए अधिकारियों ने गैर-राजनीतिक आरोपों में मृत्युदंड को तेज कर दिया है।' IHR का कहना है कि ईरान ने 2022 में कम से कम 582 कैदियों को फांसी दे दी जो 2015 के बाद से सबसे अधिक संख्या है। 2021 में यही आंकड़ा काफी कम 333 था। देश में मृत्युदंड पर अपनी वार्षिक रिपोर्ट में संस्था ने कहा, '2022 में, ईरान के अधिकारियों ने दिखाया कि सत्ता पर पकड़ को मजबूत बनाए रखने के लिए सामाजिक भय पैदा करने की खातिर मौत की सजा कितनी महत्वपूर्ण है।'