भोपाल
बिजली की बढ़ती डिमांड के बीच ऊर्जा विभाग में अफसरों को कोयले की उपलब्धता की चिंता बनी हुई है। अफसरों की चिंता की वजह आने वाले महीनों में गर्मी के कारण घरेलू खपत में वृद्धि होना है। इसे देखते हुए ऊर्जा विभाग के अफसरों ने कोयले के स्टॉक और सप्लाई को लेकर सक्रियता बढ़ा दी है। हालांकि बिजली अफसर पिछले वित्त वर्ष में केंद्र से मिले कोयले की मात्रा को लेकर आशान्वित हैं कि इस साल भी दिक्कत नहीं होगी।
प्रदेश की पावर जनरेटिंग कंपनी ने ताप विद्युत गृहों के लिए वित्त वर्ष 2022-23 में सबसे अधिक कोयला हासिल किया था। कम्पनी द्वारा 31 मार्च तक विद्युत गृहों को कुल 193 लाख मीट्रिक टन कोयला दिया गया। यह एग्रीमेंट के मुकाबले लगभग 83 प्रतिशत है। कम्पनी प्रयास के बाद भी शेष 17 फीसदी कोयला पिछले वित्त वर्ष में नहीं ले पाई। इस बीच बिजली अफसरों के कहना है कि पिछले सालों की अपेक्षा 31 मार्च को खत्म वित्त वर्ष में ज्यादा कोयला मिलने से सर्वाधिक ताप विद्युत उत्पादन संभव हुआ है।
एमपी में ताप विद्युत गृहों के लिए केन्द्र सरकार की साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल), वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (डब्ल्यूसीएल) एवं नॉर्दन कोलफील्ड्स लिमिटेड (एनसीएल) कम्पनियों द्वारा एग्रीमेंट के आधार पर कोयला सप्लाई किया जाता है। पिछले वित्त वर्ष में पावर जनरेशन के लिए 200 लाख मीट्रिक टन कोयले की आवश्यकता थी जिसके लिए सप्लाई के आधार पर जनरेशन किया गया। अफसरों का कहना है कि अगर डिमांड और बढ़ती तो दिक्कत हो सकती थी लेकिन समुचित मात्रा में कोयला मिलने से कंपनी के ताप विद्युत गृहों से सर्वाधिक विद्युत उत्पादन किया जाना संभव हुआ।
2021-22 में हुई थी भारी किल्लत
कोयले की सप्लाई वर्ष 2021-22 में काफी प्रभावित हुई थी। इस साल पूरे देश में कोयले की कमी थी। कई बार ऐसे हालात बने थे कि राज्य सरकार के पास दो से तीन दिन के लिए ही कोयला शेष बच रहा था। इसे देखते हुए मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी के ताप विद्युत गृहों में कोयले की आपूर्ति में केन्द्र सरकार के कोयला मंत्रालय, विद्युत मंत्रालय, भारतीय रेल एवं कोयला कंपनियों के मध्य समन्वय बनाकर वित्त वर्ष 2022-23 में कोयला मंगाया गया।