नवरात्रि वर्ष में चार बार मनाई जाती है. दो बार गुप्त नवरात्रि और दो बार सामान्य नवरात्रि. इसमें चैत्र और आश्विन नवरात्रि ज्यादा प्रसिद्ध हैं. इसके अलावा माघ और आषाढ़ में गुप्त नवरात्रि भी मनाई जाती है. गुप्त नवरात्रि गोपनीय साधनाओं के लिए ज्यादा महत्वपूर्ण मानी जाती है. इसमें शक्ति प्राप्त की जाती है और बाधाओं का नाश करने का वरदान मांगा जाता है. इस साल माघ मास की गुप्त नवरात्रि 30 जनवरी से शुरू होकर 7 फरवरी तक चलेगी.
माघ नवरात्रि की तिथि
हिंदू वैदिक पंचांग के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 29 जनवरी 2025 को शाम 6 बजकर 5 मिनट पर होगी, जिसका समापन 30 जनवरी 2025 को शाम 4 बजकर 10 मिनट पर समाप्त होगी. इसलिए गुप्त नवरात्रि की शुरुआत गुरुवार 30 जनवरी को होगी. वहीं गुप्त नवरात्रि का समापन शुक्रवार 7 फरवरी 2025 को होगा.
सामान्य और गुप्त नवरात्रि में अंतर
सामान्य नवरात्रि में आम तौर पर सात्विक और तांत्रिक पूजा दोनों की जाती है. वहीं गुप्त नवरात्रि में ज्यादातर तांत्रिक पूजा की जाती है. गुप्त नवरात्रि में आमतौर पर ज्यादा प्रचार प्रसार नहीं किया जाता है. अपनी साधना को गोपनीय रखा जाता है. गुप्त नवरात्रि में पूजा और मनोकामना जितनी ज्यादा गोपनीय होगी. सफलता उतनी ही ज्यादा मिलेगी. इसलिए गुप्त नवरात्रि में आप अपनी साधना को जितना गोपनीय रखेंगे, उतना अधिक लाभ होगा.
गुप्त नवरात्रि में मां की पूजा विधि
नौ दिनों के लिए कलश की स्थापना की जा सकती है. अगर कलश की स्थापना की है तो दोनों वेला मंत्र जाप, चालीसा या सप्तशती का पाठ करना चाहिए. दोनों ही समय आरती भी करना अच्छा होगा. माँ को दोनों वेला भोग भी लगाएं. सबसे सरल और उत्तम भोग है लौंग और बताशा. मां के लिए लाल फूल सर्वोत्तम होता है. मां को आक, मदार, दूब और तुलसी बिल्कुल न चढ़ाएं. पूरे नौ दिन अपना खान पान और आहार सात्विक रखें.