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बिहार : दिल्ली के कर्तव्य पथ पर दिखेगी बिहार की परंपरा, आठ साल बाद दिखेगी प्रदेश की झांकी

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पटना
गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली के कर्तव्य पथ पर आठ सालों के बाद बिहार की झांकी दिखेगी। इस झांकी के जरिए बिहार की समृद्ध विरासत और परंपरा की झलक लोगों को देखने को मिलेगी।

गणतंत्र दिवस समारोह में बिहार की झांकी आकर्षण का केंद्र बनी रहेगी। इस झांकी में राज्य की समृद्ध ज्ञान और शांति की परंपरा को प्रदर्शित किया गया है, जिसमें नालंदा की प्राचीन विरासत और उसके संरक्षण के प्रयासों को दर्शाया गया है। बिहार की झांकी के माध्यम से ज्ञानभूमि नालंदा की प्राचीन विरासत एवं उसके संरक्षण के लिए किए जा रहे प्रयासों के साथ ही नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना के माध्यम से बिहार को पुनः शिक्षा के मानचित्र पर वैश्विक रूप में स्थापित करने के प्रयास को दर्शाया गया है।

इसके अतिरिक्त भगवान बुद्ध की अलौकिक एवं भव्य मूर्ति के साथ घोड़ा कटोरा झील को इको टूरिज्म स्थल के रूप में विकसित करने के अनूठे प्रयास को भी दर्शाया गया है। झांकी के अग्र भाग में बोधिवृक्ष "इसी धरती से ज्ञान का प्रकाश सम्पूर्ण विश्व में फैला है" का संदेश देती नजर आएगी।

झांकी में प्राचीन नालंदा महाविहार (विश्वविद्यालय) के भग्नावशेषों को भी दर्शाया गया है, जो इस बात के साक्षी हैं कि चीन, जापान एवं मध्य एशिया के सुदूरवर्ती देशों से छात्र यहां ज्ञान की प्राप्ति के लिए आते थे। नालंदा विश्वविद्यालय के भग्नावशेष प्राचीन भारत की ज्ञान परंपरा के प्रतीक हैं। इन भग्नावशेषों का संरक्षण एवं संवर्द्धन भारतीय सांस्कृतिक धरोहर को संजोने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। बिहार सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों से नालंदा का प्राचीन गौरव पुनर्स्थापित हो रहा है। झांकी में बिहार की प्राचीन एवं समृद्ध विरासत को भित्ति चित्रों के माध्यम से भी उकेरा गया है।

उल्लेखनीय है कि नालंदा विश्वविद्यालय का लोकार्पण 19 जून 2024 को भारत के प्रधानमंत्री द्वारा बिहार के मुख्यमंत्री की उपस्थिति में किया गया। प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की वास्तुकला पर आधारित इस आधुनिक संरचना में सारिपुत्र स्तूप, गोपुरम प्रवेश द्वार तथा पारंपरिक बरामदे की अवधारणा को दर्शाया गया है। पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिकोण से निर्मित इन संरचनाओं से यह विश्वविद्यालय कार्बन न्यूट्रल तथा नेट जीरो कैम्पस के रूप में स्थापित हुआ है।