नई दिल्ली
भारत और एशिया के सबसे बड़े रईस मुकेश अंबानी दुनिया का सबसे बड़ा डेटा सेंटर बनाने की तैयारी में हैं। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार रिलायंस इंडस्ट्रीज का यह महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट गुजरात के जामनगर में बनाया जाएगा। इसी के साथ रिलायंस AI सेक्टर में एंट्री मारने जा रही है। रिपोर्ट के मुताबिक अंबानी AI तकनीक में दुनिया की अग्रणी कंपनी Nvidia से सेमीकंडक्टर खरीद रहे हैं। अडानी ग्रुप पहले ही इस सेक्टर में कूद चुका है। अडानी एंटरप्राइेज ने अमेरिका की कंपनी EdgeConneX के बीच जॉइंट वेंचर बनाया है। इसे अडानीकॉनेक्स नाम दिया गया है जो भारत में हाइपरस्केल डेटा सेंटर का नेटवर्क बनाने की योजना बना रहा है।
पिछले साल अक्टूबर Nvidia AI समिट के दौरान रिलायंस और Nvidia ने भारत में AI इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए मिलकर काम करने की घोषणा की थी। एनवीडिया ने तब कहा था कि वह रिलायंस द्वारा बनाए जा रहे एक गीगावाट डेटा सेंटर के लिए अपने ब्लैकवेल AI प्रोसेसर की सप्लाई करेगी। हुआंग ने तब अंबानी के साथ बातचीत में कहा था कि भारत को अपना AI खुद बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि की भारत को इंटेलीजेंस आयात करने के लिए डेटा निर्यात नहीं करना चाहिए। भारत को रोटी आयात करने के लिए आटा निर्यात नहीं करना चाहिए।
अंबानी ने क्या कहा था
तब अंबानी ने भारत में इंटेलीजेंस कैपेसिटी पर बोलते हुए कहा था, 'हम वास्तव में सभी लोगों के लिए समृद्धि लाने और दुनिया में समानता लाने के लिए इंटेलीजेंस का उपयोग कर सकते हैं। अमेरिका और चीन के अलावा भारत में सबसे अच्छा डिजिटल कनेक्टिविटी इन्फ्रास्ट्रक्चर है।' पिछले साल सितंबर में, रिलायंस इंडस्ट्रीज और एनवीडिया ने भारत में एआई सुपरकंप्यूटर विकसित करने और देश की अलग-अलग भाषाओं पर बड़े भाषा मॉडल (Large Language Models) बनाने के लिए साझेदारी की घोषणा की। बाद में एनवीडिया ने टाटा ग्रुप के साथ भी इसी तरह की पार्टनरशिप की थी।
भारत में एआई
भारत सरकार ने भी स्टार्टअप, एआई प्रोजेक्ट्स और एलएलएम के विकास के लिए 10,000 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश का वादा किया है। हालांकि इनमें कई चुनौतियां हैं। भारत की चिपमेकिंग इंडस्ट्री अभी शुरुआती चरण में है। सेमीकंडक्टर निर्माण सुविधाओं (फैब्स) की स्थापना में काफी पूंजी की जरूरत होती है और इसे साकार होने में लंबा समय लगता है। इन फैब को चलाने के लिए एक्सपर्ट कर्मचारियों की जरूरत होती है। भारत अभी इस प्रक्रिया को विकसित करने में लगा है। अभी तक देश में घरेलू स्तर पर पहली चिप का उत्पादन नहीं हुआ है।