नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार, 19 जनवरी 2025 को अपने मासिक रेडियो प्रोग्राम मन की बात को संबोधित किया। यह मन की बात का 118वां और साल 2025 का पहला एपिसोड रहा। पीएम मोदी ने बताया कि हर बार माह के आखिरी रविवार को मन की बात का प्रसारण होता है, लेकिन इस बार एक हफ्ते पहले प्रसारण हुआ। इसका कारण यह है कि अगले रविवार को 26 जनवरी है।
पीएम मोदी ने किया एमपी-छत्तीसगढ़ का जिक्र
पीएम मोदी ने कहा, हमारी संस्कृति और विरासत हमें आस-पास के पशु-पक्षियों के साथ प्यार से रहना सिखाती है। ये हम सभी के लिए बहुत खुशी की बात है, कि बीते दो महीनों में, हमारे देश में दो नए टाइगर रिजर्व जुड़े हैं। इनमें से एक है छत्तीसगढ़ में गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व और दूसरा है – MP में रातापानी टाइगर रिजर्व।
पीएम मोदी ने 26 जनवरी को जिक्र करते हुए बताया कि देश में संविधान लागू होने के 75 साल पूरे हो रहे हैं। इसलिए यह गणतंत्र दिवस बहुत अहम है। उन्होंने संविधान बनाने वाली महा अनुभूतियों को भी प्रणाम किया
पीएम मोदी ने संविधान सभा की कुछ खास ऑडियो क्लिप भी सुनवाई। इनमें डॉ. भीमराव आंबेडकर, डॉ. राजेंद्र प्रसाद और डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का उस समय दिए गए भाषण के कुछ अंश थे।
पीएम मोदी ने कहा, 25 जनवरी को नेशनल वोटर्स डे है। ये दिन इसलिए अहम है, क्योंकि इस दिन 'भारतीय निर्वाचन आयोग' की स्थापना हुई थी। हमारे संविधान निर्माताओं ने संविधान में चुनाव आयोग को बहुत बड़ा स्थान दिया है।
मैं चुनाव आयोग का भी धन्यवाद दूंगा, जिसने समय-समय पर, हमारी मतदान प्रक्रिया को आधुनिक बनाया है, मजबूत किया है। आयोग ने जन-शक्ति को और शक्ति देने के लिए, तकनीक की शक्ति का उपयोग किया।
प्रयागराज में महाकुंभ का श्रीगणेश हो चुका है। चिरस्मरणीय जनसैलाब, अकल्पनीय दृश्य और समता-समरसता का असाधारण संगम.. इस बार कुंभ में कई दिव्य योग भी बन रहे हैं।
कुंभ का ये उत्सव विविधता में एकता का उत्सव मनाता है। संगम की रेती पर पूरे भारत के, पूरे विश्व के लोग जुटते हैं। हजारों वर्षों से चली आ रही इस परंपरा में कहीं भी कोई भेदभाव नहीं, जातिवाद नहीं।
‘कुंभ’, ‘पुष्करम’ और ‘गंगा सागर मेला’ – हमारे ये पर्व, हमारे सामाजिक मेलजोल को, सद्भाव को, एकता को बढ़ाने वाले पर्व हैं। ये पर्व भारत के लोगों को भारत की परंपराओं से जोड़ते हैं।
पीएम ने सुनाई 'हाथी बंधु' की कहानी
पीएम मोदी ने बताया, असम में एक जगह है 'नौगांव'। 'नौगांव' हमारे देश की महान विभूति श्रीमंत शंकरदेव जी का जन्म स्थान भी है। ये जगह बहुत ही सुंदर है। यहां हाथियों का भी एक बड़ा ठिकाना है। इस क्षेत्र में कई घटनाएं देखी जा रही थी, जहां हाथियों के झुंड फसलों को बर्बाद कर देते थे, किसान परेशान रहते थे, जिससे आस-पास के करीब 100 गांवों के लोग, बहुत परेशान थे, लेकिन गांव वाले, हाथियों की भी मजबूरी समझते थे।
इसलिए गांव वालों ने इसका समाधान निकालने की सोची। गावं वालों की एक टीम बनी, जिसका नाम था 'हाथी बंधु'। हाथी बंधुओं ने सूझ-बूझ दिखाते हुए करीब 800 बीघा बंजर भूमि पर एक अनूठी कोशिश की। यहां गांववालों ने आपस में मिल-जुल कर Napier grass लगाई। इस घास को हाथी बहुत पसंद करते हैं। इसका असर ये हुआ कि हाथियों ने खेतों की ओर जाना कम कर दिया।