भोपाल
आगामी चुनाव से पहले मध्य प्रदेश में अब ब्राह्मण समाज भी मोर्चा खोलने वाला है। अपनी 11 सुत्रीय मांगों को लेकर 4 जून को ब्राह्मण समाज राजधानी में ब्राह्मण महाकुंभ आयोजित करने जा रहा है। इसके लिए प्रदेश के ब्राह्मणों को घर घर जाकर महिलाएं पीले चावल देकर महाकुंभ के लिए आमंत्रित कर रही है। आगामी चार जून को समस्त ब्राह्मण संगठन भोपाल में एकत्रित होंगे और शिवराज सरकार के सामने कथावाचकों के खिलाफ अनर्गल टिप्पणी करने वालों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई समेत 11 सुत्रीय मांगे रखी जाएगी।
ये है प्रमुख मांगे
ब्राह्मण आयोग का संवैधानिक गठन किया जाए। यह घोषणा तक सीमित ना रहे, तुरंत इसका गठन किया जाए तथा किसी भी राजनीतिक व्यक्ति को अध्यक्ष न बनाया जाए। समाज से ही अध्यक्ष चुना जाए।
एट्रोसिटी एक्ट को तत्काल समाप्त किया जाए क्योंकि इसमें न तो गिरफ्तारी के पूर्व जांच का प्रावधान है, न अग्रिम जमानत का प्रावधान है, न पैरोल का प्रावधान है और न ही आईपीसी की धारा 360 के अंतर्गत अच्छे चाल चलन के लिए जेल से शीघ्र छोड़े जाने का प्रावधान है। ऐसा अंधा कानून विश्व के किसी भी लोकतांत्रिक देश में नहीं है ।
ब्राह्मण वर्ग को जनसंख्या के अनुपात में मध्यप्रदेश में 14% आरक्षण का लाभ दिया जाए, जिसमें वे सारी सुविधाएं प्रदान की जाएं जो sc-st एवं पिछड़ा वर्ग के समाज को दी जा रही हैं।
ब्राह्मण वर्ग के छात्र छात्राओं के लिए शासन द्वारा जिला एवं तहसील स्तर पर छात्रावास की व्यवस्था की जाए जिसका नाम परशुराम छात्रावास रखा जाए। जैसा कि अनुसूचित जाति जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग के लिए पृथक पृथक छात्रावासों की व्यवस्था की गई है ।
ओबीसी की भांति आठ लाख से नीचे आय वाले निर्धन ब्राह्मणों को आयुष्मान योजना का लाभ दिया जाए।
ब्राह्मण वर्ग के 8 लाख से नीचे के विद्यार्थी को नि:शुल्क सरकारी आवेदन की पात्रता दी जाए ।6 भगवान परशुराम जन्मोत्सव पर राष्ट्रीय स्तर पर (निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट के अंतर्गत) सार्वजनिक अवकाश घोषित किया जाए। (जिस प्रकार से महावीर स्वामी एवं गौतम बुद्ध के जन्मदिन पर दिया जाता है)
मस्जिद गिरजाघरों एवं गुरुद्वारे के समान एवं संविधान की धर्मनिरपेक्षता की भावना को ध्यान में रखते हुए भारत के सभी मंदिरों को शासन के नियंत्रण से मुक्त रखा जाए और उनका नियंत्रण मंदिर के संस्थानों को साथ दिया जाए।7 ( वर्ष 1980 से आज तक मंदिरों का सर्वे नहीं हुआ है तुरंत सर्वे करवाकर सभी सार्वजनिक मंदिरों के पुजारियों को रुपए 10,000 प्रतिमाह मानदेय दिया जाए तथा चढ़ावे में उनका हिस्सा 50% किया जाए)
मंदिरों से हुई धर्मस्व की आमदनी की संपूर्ण राशि मंदिरों के जीर्णोद्धार, गुरुकुल तथा गौशाला संचालन हेतु शासकीय अनुदान के रूप में प्रदान की जाए। मंदिर से प्राप्त आय को हिंदू धर्म से पृथक धर्मों के लिए व्यय नहीं किया जाए।
अर्थात मद्रास हाई कोर्ट द्वारा 2020 में दिए गए निर्णय के अनुसार मंदिरों से प्राप्त आमदनी को केवल मंदिरों के विकास एवं हिंदू धर्म की लोक कल्याणकारी योजनाओं में ही 100% खर्च की जाए।
सनातन धर्म के कथा वाचक साधु संतों एवं ब्राह्मण समाज के किसी व्यक्ति अथवा ब्राह्मण समाज को, सार्वजनिक रूप से सोशल मीडिया पर अपशब्द बोलने एवं अपमानित किए जाने की दशा में, ऐसा करने वाले व्यक्ति के विरुद्ध कठोर कार्यवाही किए जाने का प्रावधान किया जाए। इसके लिए ब्राह्मण अत्याचार निवारण अधिनियम( एट्रोसिटी एक्ट )बनाया जाए।
महान क्रांतिकारी पंडित चंद्रशेखर आजाद, मंगल पांडे की तरह देश पर मर मिटने वाले अन्य स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिजनों को सम्मान दिया जाए एवं आर्थिक सहायता प्रदान की जाए ।
ब्राह्मण समाज विभिन्न सामाजिक धार्मिक एवं लोक कल्याणकारी गतिविधियों के लिए 5 एकड़ भूमि आवंटित की जाए।