भोपाल
आधार कार्ड में दर्ज जन्मतिथि को नहीं, बल्कि 10वीं की अंकसूची और जन्म प्रमाण पत्र को ही आयु का आधार माना जाएगा। आधार कार्ड केवल पहचान के लिए ही मान्य होगा। इसको लेकर विज्ञान एवं प्रौद्योगिक विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय दुबे ने प्रदेश के सभी कलेक्टरों को आदेश जारी किया है।
क्या है आदेश में
आदेश में उच्च न्यायालय जबलपुर के आठ नवंबर 2024 के निर्णय का हवाला दिया है, जिसमें आधार को केवल पहचान के लिए मान्य करने की बात कही गई है, न कि आयु के लिए। इससे पहले भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआइडीएआइ) भी अगस्त 2023 में जारी परिपत्र में स्पष्ट कर चुका है कि आधार कार्ड का उपयोग पहचान स्थापित करने के लिए किया जा सकता है, यह जन्म तिथि का प्रमाण नहीं है।
हाईकोर्ट पहुंचा था ये मामला
दरअसल, नरसिंहपुर जिले की सिंहपुर पंचायत निवासी सुनीता बाई साहू ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर कहा था कि उसके पति मोहनलाल साहू की करंट लगने से मृत्यु हो गई थी। शासकीय योजना अंतर्गत आर्थिक सहायता के लिए आवेदन किया गया था। किंतु वह आवेदन इस आधार पर निरस्त कर दिया गया कि दिवंगत पति की आयु 64 वर्ष से अधिक थी, जबकि आधार कार्ड में दर्ज आयु के अनुसार मृत्यु के समय पति की आयु 64 वर्ष से कम थी।
पहचान के लिए आधार का उपयोग
राज्य शासन की ओर से स्पष्ट किया गया था कि जनपद पंचायत ने संबंधित दस्तावेजों के आधार पर पाया था कि मृतक की आयु 64 वर्ष से अधिक थी। इसके अलावा 2023 में जारी एक परिपत्र में भी यह साफ किया गया था कि आधार का उपयोग पहचान के लिए किया जाना चाहिए, न कि जन्मतिथि सत्यापन के लिए। ऐसा इसलिए क्योंकि वह जन्मतिथि का प्रमाण-पत्र नहीं है। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय सहित देश के अन्य उच्च न्यायालय भी अपने पूर्व आदेशों में यह रेखांकित कर चुके हैं कि आधार कार्ड पहचान पत्र है न कि जन्मतिथि का प्रमाण पत्र है।