नई दिल्ली
देश में इन दिनों राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत के मंदिर-मस्जिद की गई टिप्पणी सुर्खियों में है। इसी बीच संघ के मुखपत्र पांचजन्य ने अपनी संपादकीए में मोहन भागवत के बयान का समर्थन किया है। पांचजन्य के संपादकीय में कहा गया है कि मोहन भागवत का हालिया बयान समाज को इस मुद्दे पर समझदारी भरा रुख अपनाने का स्पष्ट संदेश देता है। संपादकीय में यह भी कहा गया कि भागवत के बयान ने देश में चल रही अनावश्यक बहस और भ्रामक प्रचार से आगाह किया है।
संपादकीय में सोशल मीडिया के लिए चिंता
पांचजन्य में प्रकाशित संपादकीय में यह भी उल्लेख किया गया कि मंदिर हिंदुओं के विश्वास का केंद्र होते हैं, लेकिन राजनीति के लाभ के लिए इनका इस्तेमाल स्वीकार्य नहीं है। साथ ही संपादकीय में इस बात पर चिंता जताई गई कि आजकल मंदिर और मस्जिद के मुद्दे पर अनावश्यक बहस और भ्रामक प्रचार एक चिंताजनक प्रवृत्ति बन गई है, जिसे सोशल मीडिया ने और बढ़ा दिया है।
क्यों चर्चा में है मोहन भागवत, एक नजर..
गौरतलब है कि हाल ही में देश में मस्जिदों को लेकर बढ़ते विवाद और मस्जिदों के सर्वे की मांग के बीच आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने बीते दिनों पुणे में एक कार्यक्रम में कहा था कि राजनीतिक फायदे के लिए मंदिर-मस्जिद के मुद्दों को उठाना अस्वीकार्य है। उन्होंने कहा था कि अयोध्या में राम मंदिर हिंदुओं के आस्था का मामला था लेकिन इसके बाद रोज नए मुद्दे उठाना स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने तेज आवाज में ऐसो लोगों को आगाह किया था कि कुछ लोग यह सोचते हैं कि वे ऐसे मुद्दों को उठाकर हिंदू समाज के नेता बन सकते हैं लेकिन यह गलत है।
अंग्रेजी मुखपत्र ऑर्गनाइजर में संभल विवाद की बातें
बता दें कि इससे पहले आरएसएस के अंग्रेजी मुखपत्र ऑर्गनाइजर ने संभल मस्जिद विवाद पर अपनी कवर स्टोरी की थी। इसमें इस बात पर जोर दिया गया था कि विवादित धार्मिक स्थलों और संरचनाओं का वास्तविक इतिहास जानना आवश्यक है। साथ ही पत्रिका में यह भी कहा गया था कि जिन धार्मिक स्थलों पर आक्रमण हुआ या उन्हें ध्वस्त किया गया, उनकी सच्चाई जानना सभ्यतागत न्याय के लिए और सभी समुदायों के बीच शांति और सौहार्द को बढ़ावा देने के लिए जरूरी है।