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‘भारत के खिलाफ अपनी जमीन का नहीं होने देंगे इस्तेमाल’, श्रीलंका के राष्ट्रपति दिसानायके का वादा

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कोलंबो।

भारत दौरे पर आए श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने आश्वासन दिया है कि वह अपनी जमीन का किसी भी तरह से भारत की सुरक्षा के खिलाफ उपयोग करने की अनुमति नहीं देंगे। नई दिल्ली में रक्षा सहयोग पर चर्चा के दौरान संयुक्त बयान में श्रीलंका के राष्ट्रपति ने यह बात कही। उनका यह बयान उस वक्त आया है जब चीन भारत के खिलाफ अपने मिशन हिंद महासागर को आक्रामक तरीके से आगे बढ़ा रहा है।

दरअसल श्रीलंका में चीन के बढ़ते दखल से भारत की चिंता बढ़ी हुई है। दो साल पहले जब श्रीलंका कर्ज चुकाने में विफल रहा था तो चीन ने उसके हंबनटोटा बंदरगाह पर कब्जा कर लिया था। चीन ने यहां पर अपने नौसैनिक निगरानी और जासूसी जहाज को खड़ा किया। अगस्त 2022 में चीनी नौसेना के जहाज युआन वांग 5 ने दक्षिणी श्रीलंका के हंबनटोटा में डॉक किया। इसके बाद दो चीनी जासूसी जहाजों को नवंबर 2023 तक 14 महीने के भीतर श्रीलंका के बंदरगाहों में डॉक करने की अनुमति दी गई थी। चीनी शोध जहाज 6 अक्टूबर 2023 में श्रीलंका पहुंचा और उसने कोलंबो बंदरगाह पर डॉक किया। इस जहाज के डॉक करने का उद्देश्य समुद्री पर्यावरण पर रिसर्च थी। मगर भारत और अमेरिका ने इसे लेकर चिंता जताई थी। नई दिल्ली ने आशंका जताई थी कि चीनी जहाज जासूसी जहाज हो सकते हैं और कोलंबो से ऐसे जहाजों को अपने बंदरगाहों पर डॉक करने की अनुमति न देने का आग्रह किया था। भारत द्वारा चिंता जताए जाने के बाद श्रीलंका ने जनवरी में अपने बंदरगाह पर विदेशी शोध जहाजों के आने पर प्रतिबंध लगा दिया था। अब श्रीलंका और भारत के बीच हुए रक्षा समझौते के बाद श्रीलंका ने अपना रुख साफ किया है। श्रीलंका की ओर से कहा गया कि वह अपने जल क्षेत्र का किसी भी तरह से भारत की सुरक्षा के लिए हानिकारक तरीके से उपयोग करने की अनुमति नहीं देगा। न ही किसी ऐसे अभियान की मंजूरी देगा जिसका क्षेत्रीय स्थिरता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़े। सोमवार को दिल्ली में पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात के दौरान श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायके ने कहा कि हमने करीब दो साल पहले एक अभूतपूर्व आर्थिक संकट का सामना किया था। उस समय भारत ने हमारा भरपूर समर्थन किया। श्रीलंका भारत की विदेश नीति में बहुत अहम स्थान रखता है। उन्होंने आश्वासन दिया कि वह हमेशा श्रीलंका की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता की रक्षा करेंगे। इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि मैंने भारत के प्रधानमंत्री को यह भी आश्वासन दिया है कि हम अपनी जमीन का किसी भी तरह से भारत के हितों के लिए हानिकारक उपयोग नहीं होने देंगे। भारत के साथ सहयोग निश्चित रूप से बढ़ेगा और मैं भारत के प्रति अपने निरंतर समर्थन का आश्वासन देना चाहता हूं।