नई दिल्ली
दुनिया की बड़ी-बड़ी इकोनॉमी जैसे अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय यूनियन आर्थिक संकट का सामना कर रही हैं। वहीं एशिया की इकोनॉमी बूम पर है। अंततराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की मैनेजिंग डायरेक्टर क्रिस्टालीना जॉर्जिवा का कहना है कि 2023 के दौरान दुनिया की आर्थिक तरक्की में अकेले भारत का योगदान 15 प्रतिशत होगा।
आईएमएफ ने हाल में ‘वल्र्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट-ए रॉकी रिकवरी’ पब्लिश की थी। इसमें 2023 के दौरान भारत की आर्थिक वृद्धि दर 5.9 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है। हालांकि ये आईएमएफ के पूर्वानुमान 6.1 प्रतिशत से मामूली तौर पर कम है।
आईएमएफ के मुताबिक 2023 में एशिया और प्रशांत क्षेत्र के देश 4.6 प्रतिशत की दर से ग्रोथ करेंगे। जबकि 2022 में ये ग्रोथ रेट महज 3.8 प्रतिशत था। इतना ही नहीं दुनिया की इकोनॉमिक ग्रोथ में ये पूरा इलाका 70 प्रतिशत का योगदान देगा। वहीं भारत और चीन जैसे देश ग्लोबल ग्रोथ में आधे से ज्यादा के भागीदार होंगे।
आईएमएफ की एमडी क्रिस्टालीना ने भारत की आर्थिक प्रगति की तारीफ की है। डिजिटल इंडिया भारत को कोविड महामारी के दौर के निचले स्तर से तेजी से ऊपर ला रहा है। वहीं सरकार का कैपिटल एक्सपेंडिचर पर निवेश देश में लगातार वृद्धि को गति दे रहा है।
क्रिस्टालीना के मुताबिक भारत आने वाले दिनों में वैश्विक अर्थव्यवस्था का ‘चमकता सूरज’ बना रहेगा। वैश्विक ग्रोथ में अकेले 15 प्रतिशत से अधिक का हिस्सेदार होगा। इस साल भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ रेट ऊंची रहेगी। जबकि मार्च में समाप्त हुए साल के दौरान इसकी ग्रोथ रेट 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
दुनिया की अर्थव्यवस्था पर असर डालने वाले फैक्टर्स पर नजर रखने के लिए आईएमएफ एक मैक्रोइकोनॉमिक मॉडल का इस्तेमाल करता है। इसमें दुनिया की 8 बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के आंकड़ों का विश्लेषण किया जाता है। ये इकोनॉमी अमेरिका, जापान, जर्मनी, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, भारत और ब्राजील हैं।