जयपुर.
राइजिंग राजस्थान ग्लोबल इनवेस्टमेंट समिट में राजस्थान सरकार का सबसे ज्यादा फोकस रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर को लेकर है। अब तक ऊर्जा सेक्टर की 30 कंपनियों के साथ 6.57 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के एमओयू साइन किए हैं। इनमें सौर, पवन, हरित हाइड्रोजन, हाइब्रिड, पंप भंडारण, बैटरी भंडारण और हरित अमोनिया परियोजनाएं शामिल हैं।
ग्लोबल इनवेस्टमेंट समिट की तैयारियों में जुटे मुख्यमंत्री भजनलाल ने कहा है कि वे समिट शुरू होने तक 10 बड़े संकल्प लेंगे। उनका पहला संकल्प सौर ऊर्जा से जुड़ा है। भजनलाल ऐलान कर चुके हैं कि राइजिंग राजस्थान ग्लोबल इनवेस्टमेंट समिट सौर ऊर्जा से चलेगी।
सौर ऊर्जा पर फोकस इसलिए
इसी साल गुजरात के गांधीनगर में आयोजित हुई चौथी ग्लोबल रिन्यूएबल एनर्जी इंवेस्टर्स मीट एंड एक्सपो में राजस्थान को सौर ऊर्जा क्षमता में देश पहला स्थान मिला। इसके साथ ही राजस्थान को ओवर ऑल रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता में देश में दूसरा स्थान मिला है। राज्य में 28 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी परियोजनाओं से लगभग 470 करोड़ यूनिट बिजली उत्पादित हो रही है और 32 गीगावाट की परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं।
दुनिया का सबसे बड़ा सोलर पार्क हमारे यहां
राजस्थान 22860.73 मेगावाट की स्थापित क्षमता के साथ सौर ऊर्जा में प्रथम स्थान पर है। प्रदेश कुसुम योजना में पहले पायदान पर है, यहां इस योजना में 121 मेगावाट क्षमता के 92 संयंत्र स्थापित हो चुके हैं।
जोधपुर के भड़ला में दुनिया का सबसे बड़ा सोलर पार्क है। इसकी कुल स्थापित क्षमता 2245 मेगावाट है। इनके अलावा फलौदी-पोकरण सोलर पार्क-750 मेगावाट, फतेहगढ़ फेज-1 बी : 1500 मेगावाट, नोखा सोलर पार्क(जैसलमेर)- 925 मेगावाट व पूगल सोलर पार्क (बीकानेर) -2450 मेगावाट जैसी बड़ी परियोजनाएं भी यहां चल रही हैं।
2027 तक ऊर्जा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने का लक्ष्य
सीएम भजनलाल ने अपने पहले संकल्प पर कहा कि राइजिंग राजस्थान समिट का उद्घाटन दिवस पूरी तरह से सौर ऊर्जा से संचालित होगा। उन्होंने कहा कि यह समिट सूरज की ताकत से प्रदेश के विकास में नया सवेरा लाएगा। उन्होंने कहा कि हमारी प्राथमिकता है कि प्रदेश में निर्बाध बिजली की आपूर्ति के लिए अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा दिया जाए। राज्य सरकार की अनुकूल निवेश नीतियों से राजस्थान अक्षय ऊर्जा में निवेशकों की पसंद बना हुआ है तथा आज राजस्थान भारत में अक्षय ऊर्जा उत्पादन में पहले स्थान पर है। उन्होंने कहा कि हम प्रदेश को 2027 तक ऊर्जा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लक्ष्य के साथ काम कर रहे हैं।
रिन्यूएबल एनर्जी की नई नीति होगी लॉन्च
ग्लोबल इनवेस्टमेंट समिट में राजस्थान सरकार अक्षय ऊर्जा क्षमता को 125 गीगावाट तक बढ़ाने के लिए राजस्थान एकीकृत स्वच्छ ऊर्जा नीति-2024 भी जारी करेगी। कैबिनेट की बैठक में इसके मसौदे को मंजूरी मिल चुकी है। नई नीति में 2030 तक अक्षय ऊर्जा क्षमता को 125 गीगावाट तक बढ़ाने, फ्लोटिंग, रिजर्वायर टॉप और कैनाल टॉप सौर ऊर्जा परियोजनाओं को बढ़ावा देने, पम्प स्टोरेज प्रोजेक्ट सहित बड़ी जल विद्युत परियोजनाओं और 8 मार्च 2019 के बाद शुरू हुई छोटी जल विद्युत परियोजनाओं को शामिल करने और नेट मीटरिंग व्यवस्था में 80 प्रतिशत ट्रांसफार्मर क्षमता तक सोलर रूफटॉप लगाने की अनुमति दी गई है। सभी अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं और पार्कों को राजकीय भूमि आवंटन, वर्चुअल पीपीए आधारित सौर ऊर्जा परियोजनाओं, कार्बन ट्रेडिंग, ऊर्जा दक्षता तथा नेट जीरो बिल्डिंग को बढ़ावा देने के प्रावधान भी नई नीति में हैं।
राजस्थान एक नजर में –
1: राज्य की कुल स्थापित विद्युत क्षमता में नवीकरणीय ऊर्जा का योगदान लगभग 20.3% है, तथा शेष 78.79% पारंपरिक स्रोतों से प्राप्त होता है।
2: राजस्थान 22860.73 मेगावाट की स्थापित क्षमता के साथ सौर ऊर्जा में प्रथम स्थान पर है, तथा यहां वर्ष में 325 से अधिक दिन साफ धूप वाले होते हैं।
3: 5195.82 मेगावाट की स्थापित क्षमता के साथ राजस्थान पवन ऊर्जा में तीसरे स्थान पर है। सभी प्रमुख राज्यों में राजस्थान ने नवीकरणीय ऊर्जा की स्थापित क्षमता में सबसे अधिक वार्षिक वृद्धि (18.63%) दर्ज की है।
4: 2023 में ग्रिड से जुड़ी अक्षय ऊर्जा की सबसे अधिक स्थापित क्षमता राजस्थान (22,398 मेगावाट) में थी, जिसके बाद गुजरात (19,436 मेगावाट) का स्थान था, जो मुख्य रूप से पवन और सौर ऊर्जा के कारण था।
5: साल 2024 की शुरुआत तक राज्य ने 18 गीगावाट की स्थापित सौर क्षमता को पार कर लिया, जिससे यह सौर ऊर्जा उत्पादन के मामले में भारत में अग्रणी राज्य बन गया।