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CG-महाराष्ट्र बॉर्डर पर नक्सलियों और सुरक्षाबलों के बीच फायरिंग, 3 नक्सलियों के मारे जाने का दावा

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गढ़चिरौली
छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र सीमा पर पुलिस नक्सली मुठभेड़ हुई है। इस मुठभेड़ में 3 नक्सलियों के मारे जाने का दावा किया जा रहा है। बड़ी संख्या में नक्सलियों के मौजूद होने की सूचना पर फोर्स गई थी। एनकाउंटर में बड़े कैडर के माओवादी और पेरिमिली दलम कमांडर बिटलू मंडावी के ढेर होने की बात सामने आई है।

रात को महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले के भामरगढ़ तहसील के केढ़मारा के जंगलों में C-60 फोर्स के जवान गए थे। यह इलाका छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के भोपालपट्‌टनम इलाके से लगा हुआ है। बताया जा रहा है कि जवानों के पहुंचते ही नक्सलियों ने फायरिंग शुरू कर दी। इसका जवानों ने भी मुंहतोड़ जवाब दिया।

यहां करीब एक घंटे तक तेज फायरिंग हुई है। जिसके बाद नक्सली भाग निकले हैं। उधर, फायरिंग के बाद जवानों ने इलाके की सर्चिंग की। जिसमें 3 नक्सलियों के शव मिलने का दावा किया जा रहा है। फिलहाल इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। इलाके में अब भी सर्चिंग जारी है। जवानों के लौटने पर अधिक जानकारी सामने आ सकेगी।

अरनपुर हमले के 4 दिन बाद एनकाउंटर

26 अप्रैल को 8 लाख के इनामी नक्सली और DVCM(डिविजनल कमेटी मेंबर) जगदीश के छिपे होने की सूचना पर ही डीआरजी जवान दंतेवाड़ा के अरनपुर गए थे। यहां अरनपुर-समेली के बीच नक्सलियों ने आईईडी ब्लास्ट कर जवानों से भरी वाहन को ही उड़ा दिया था। हमला इतना जबरदस्त था गाड़ी के कई टुकड़े हो गए थे। हमले में 10 जवान और वाहन चालक की मौत हुई थी। हमले के लिए नक्सलियों ने 50 किलो विस्फोटक का इस्तेमाल किया था।

कौन हैं C-60 एंटी नक्सल कमांडो

गढ़चिरौली जिले की स्थापना के बाद से ही पूरे क्षेत्र में नक्सली गतिविधियां बढ़ गई थी। इस पर प्रतिबंध लगाने के लिए तत्कालीन SP केपी रघुवंशी ने 1 दिसंबर 1990 को C-60 की स्थापना की। उस वक्त इस फोर्स में सिर्फ 60 विशेष कमांडो की भर्ती हुई थी, जिससे इसे यह नाम मिला। नक्सली गतिविधियों को रोकने के लिए गढ़चिरौली जिले को दो भागों में बांटा गया। पहला उत्तर विभाग, दूसरा दक्षिण विभाग।

प्रशासनिक कामकाज भी करते हैं C-60 कमांडो

इन कमांडो को विशेष ट्रेनिंग दी जाती है। इन्हें दिन-रात किसी भी समय कार्रवाई करने के लिए ट्रेंड किया जाता है। इनकी ट्रेनिंग हैदराबाद, NSG कैंप मनेसर, कांकेर, हजारीबाद में होती है। नक्सल विरोधी अभियान के अलावा ये जवान नक्सलियों के परिवार, नाते-रिश्तेदारों से मिलकर उन्हें सरकार की योजनाओं के बारे में बताकर समाज की मुख्यधारा में जोड़ने का काम भी करते हैं। नक्सली इलाकों में ये प्रशासनिक समस्याओं की जानकारी भी जुटाते हैं।