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हिन्दुओं के आंदोलन को कुचलने को बांग्लादेश में यूनुस सरकार का नया हथकंडा, बैंक खाते किए फ्रीज

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ढाका
बांग्लादेश के वित्तीय अधिकारियों ने इस्कॉन के पूर्व सदस्य और देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किए गए चिन्मय कृष्ण दास समेत हिन्दू समुदाय के 17 लोगों के बैंक खाते फ्रीज कर दिए हैं। सरकार ने इन बैंक खातों से लेन-देन पर 30 दिनों के लिए रोक लगाने का आदेश दिया है। मीडिया में शुक्रवार को आई खबर में यह जानकारी दी गई। ‘प्रथम आलो’ अखबार की खबर के मुताबिक, बांग्लादेश बैंक की वित्तीय खुफिया इकाई (BFIU) ने विभिन्न बैंकों और वित्तीय संस्थानों को बृहस्पतिवार को ये निर्देश जारी करते हुए इन खातों से सभी तरह के लेन-देन पर एक महीने के लिए रोक लगा दी।

BFIU ने बैंकों और वित्तीय संस्थानों से इन बैंक खातों से संबंधित जानकारी तीन कार्य दिवस में भेजने को कहा है। इसमें इन 17 व्यक्तियों के स्वामित्व वाले सभी तरह के व्यवसायों के सभी खातों के अद्यतन लेन-देन के विवरण शामिल हैं।

यह कदम बांग्लादेश मे हाई कोर्ट द्वारा हिंदू नेता के समर्थकों और सुरक्षाकर्मियों के बीच झड़प में एक वकील की हत्या के बाद इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली याचिका को खारिज करने के बाद उठाया गया है। 30 अक्टूबर को चटगाँव के कोतवाली पुलिस स्टेशन में चिन्मय कृष्ण दास समेत 19 लोगों के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया था, जिसमें उन पर हिंदू समुदाय की एक रैली के दौरान चटगाँव के न्यू मार्केट इलाके में बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का आरोप लगाया गया था।

बांग्लादेश सम्मिलित सनातनी जागरण ज्योत के प्रवक्ता दास को भी देशद्रोह के एक मामले में सोमवार को ढाका के हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा से गिरफ्तार किया गया था। उन्हें चटगांव की एक अदालत ने सोमवार को जमानत देने से इनकार कर दिया और उन्हें भी जेल भेज दिया। सुरक्षाकर्मियों और हिंदू नेता के समर्थकों के बीच झड़प में एक वकील की मौत हो गई थी। दास, बांग्लादेश में इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) के पूर्व प्रवक्ता हैं।

नई दिल्ली ने हिन्दू पुजारी की गिरफ्तारी और अदालत द्वारा जमानत नहीं दिए जाने पर चिंता जताई है और बांग्लादेश से हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा। बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भी पुजारी की रिहाई की माँग की है। उन्होंने उनकी गिरफ़्तारी के विरोध में हुए प्रदर्शनों के दौरान वकील की हत्या की भी निंदा की। इस्कॉन के पुजारी की गलत तरीके से गिरफ्तारी का वहां अल्पसंख्यक हिन्दू समाज विरोध कर रहा है और उनकी रिहाई के समर्थन में प्रदर्शन कर रहा है।

1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान बांग्लादेश की आबादी का करीब 22 प्रतिशत हिस्सा हिंदू समुदाय था, जो अब लगभग 8 प्रतिशत शेष रह गया है। बांग्लादेश के विभिन्न हिस्सों में अल्पसंख्यकों के खिलाफ लगातार अत्चाचार की खबरें आती रहती हैं।