Home व्यापार विदेशी मुद्रा भंडार 2.2 अरब डॉलर घटकर 584.23 अरब डॉलर पर

विदेशी मुद्रा भंडार 2.2 अरब डॉलर घटकर 584.23 अरब डॉलर पर

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मुंबई
 विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति, स्वर्ण और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पास आरक्षित निधि में कमी आने से 21 अप्रैल को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 2.2 अरब डॉलर घटकर 584.23 अरब डॉलर पर आ गया जबकि इसके पिछले सप्ताह यह 1.7 अरब डॉलर बढ़कर 586.4 अरब डॉलर पर रहा था।

रिजर्व बैंक की ओर से जारी साप्ताहिक आंकड़े के अनुसार, 21 अप्रैल को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार के सबसे बड़े घटक विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति 2.12 अरब डॉलर की गिरावट लेकर 514.5 अरब डॉलर रह गयी। इसी तरह इस अवधि में स्वर्ण भंडार 2. करोड़ डॉलर कम होकर 46.2 अरब डॉलर पर रहा।
आलोच्य सप्ताह विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) में 1.9 करोड़ डॉलर बढ़ोतरी हुई और यह बढ़कर 18.43 अरब डॉलर पर पहुंच गया। वहीं, इस अवधि में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के पास आरक्षित निधि 1.4 करोड़ डॉलर की गिरावट लेकर 5.2 अरब डॉलर रह गई।

 

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने अप्रैल में शेयरों में 11,630 करोड़ रुपये डाले

 विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने शेयरों के उचित मूल्यांकन और रुपये में मजबूती के बीच अप्रैल में भारतीय शेयर बाजारों में शुद्ध रूप से 11,630 करोड़ रुपये डाले हैं।

इससे पहले एफपीआई ने मार्च में शेयरों में शुद्ध रूप से 7,936 करोड़ रुपये का निवेश किया था। हालांकि, इसमें से ज्यादातर निवेश अमेरिका की जीक्यूजी पार्टनर्स द्वारा अडाणी समूह की कंपनियों में किया गया था। यदि अडाणी समूह की कंपनियों में आए जीक्यूजी के निवेश हो हटा दिया जाए, तो बीते माह भी एफपीआई का निवेश प्रवाह नकारात्मक ही रहेगा।

निवेश सलाहकार कंपनी राइट रिसर्च की संस्थापक सोनम श्रीवास्तव ने कहा कि आगे चलकर अमेरिकी फेडरल रिजर्व की सख्त मौद्रिक नीति के कारण एफपीआई प्रवाह में उतार-चढ़ाव रहेगा।

उन्होंने कहा कि फेडरल रिजर्व ने आगामी बैठक में ब्याज दर में 0.25 प्रतिशत की वृद्धि का संकेत दिया है जिससे एफपीआई का प्रवाह प्रभावित हो सकता है।

डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक, एफपीआई ने चालू वित्त वर्ष के पहले माह में शेयरों में शुद्ध रूप से 11,630 करोड़ रुपये डाले हैं। अप्रैल के पहले पखवाड़े में एफपीआई की लिवाली गतिविधियां मजबूत रहीं, जो भारतीय शेयर बाजार के प्रति भरोसे को दर्शाता है। हालांकि, ब्याज दर बढ़ने और अमेरिका में कमजोर आर्थिक संकेतकों से माह के तीसरे सप्ताह में एफपीआई की धारणा प्रभावित हुई।

फिज्डम के सह-संस्थापक आनंद डालमिया ने कहा कि अप्रैल के आखिरी कुछ दिनों में एफपीआई ने फिर आक्रामक तरीके से लिवाली की है। ऐसे में दीर्घावधि में उनका निवेश प्रवाह जारी रहने की उम्मीद है।

समीक्षाधीन अवधि में एफपीआई ने शेयरों के अलावा ऋण या बॉन्ड बाजार में 805 करोड़ रुपये का निवेश किया है।