रायपुर.
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने प्रदेशवासियों को छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस अवसर पर बधाई और शुभकामनाएं दी है। उन्होंने अपने बधाई संदेश में कहा है कि 'छत्तीसगढ़ी भाखा म हमर माटी के महक आथे। छत्तीसगढ़ी भाखा हमर अभिमान ए। सब अपन भाखा ला मान देहू तभे वो आघू बढ़ही'।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ी भाषा के विकास के लिए छत्तीसगढ़ी को दैनिक बोलचाल के साथ साहित्य सृजन और प्रचार-प्रसार की भाषा बनाने की आवश्यकता है। हमें अपने पारंपरिक संस्कारों को बढ़ावा देने के साथ उनका परिचय नई पीढ़ी से कराना भी जरूरी है। छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस हर साल 28 नवंबर को मनाया जाता है। इस दिन को राजभाषा दिवस के रूप में मनाने की वजह यह है कि 28 नवंबर 2007 को छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग विधेयक पारित किया गया था। इस विधेयक के पास होने के बाद ही हर साल 28 नवंबर को राजभाषा दिवस मनाया जाता है। छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग का गठन छत्तीसगढ़ी के प्रचलन, विकास, और राजकाज में इस्तेमाल के लिए किया गया था। छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग की पहली कार्यकारी बैठक 14 अगस्त, 2008 को हुई थी। इस दिन को छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग का 'कार्यालय स्थापना दिवस' के रूप में मनाया जाता है। छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग के पहले सचिव पद्मश्री डॉ सुरेंद्र दुबे थे। छत्तीसगढ़ी को दक्षिण कोसली और कोसली भी कहा जाता है। आस-पास के पहाड़ी लोग छत्तीसगढ़ी को खालताही कहते हैं। ओडिशा से छत्तीसगढ़ के पड़ोसी क्षेत्रों में रहने वाले लोग छत्तीसगढ़ी को लारिया कहते हैं।