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अनुच्छेद 142 के तहत विवाह-विच्छेद की शक्तियों के मामले पर 1 मई को SC ले सकता है फैसला

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नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट में संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत विवाह को भंग करने के लिए शक्ति के प्रयोग के व्यापक मानदंड को लेकर 1 मई को फैसला सुनाया जा सकता है। 29 सितंबर, 2022 को पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने संदर्भ में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। जस्टिस एसके कौल, संजीव खन्ना, ए एस ओका, विक्रम नाथ और जे के माहेश्वरी की पीठ ने इस मामले पर 29 सितंबर को सुनवाई की थी। इसमें इस बात पर जोर दिया गया था कि आपसी सहमति वाले पक्षकारों को पारिवारिक अदालत में भेजे बिना, विवाह को भंग करने के लिए शक्तियों के प्रयोग के लिए व्यापक मापदंड क्या हो सकते हैं।
 

सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर किया गौर

कोर्ट की ओर से इस बात पर भी गौर किया गया था कि क्या अनुच्छेद 142 के तहत इसकी व्यापक शक्तियां उस स्थित में किसी भी तरह से बाधित होती हैं, जहां विवाह टूट गया है लेकिन एक पक्ष तलाक का विरोध कर रहा है। शीर्ष अदालत ने भारत में शादियों में एक परिवार की बड़ी भूमिका को स्वीकार किया था।

सुप्रीम कोर्ट इस मामले को लेकर जांच करने के लिए पिछले साल सितंबर में सहमत हुई थी। कोर्ट ने कहा था कि कुछ मामले ऐसे भी सामने आते हैं जिनमें दो लोग काफी समय से साथ रह रहे हों और फिर भी शादी टूट जाती है। इसमें ऐसा हो सकता है कि दो बहुत बेहतर लोग अच्छे जीवनसाथी न हों। SC ने कहा था कि कोई कह सकता है कि वह सुबह उठकर मेरे माता-पिता को चाय नहीं देती है। क्या यह एक दोष सिद्धांत है? शायद, आप चाय को बेहतर तरीके से बना सकते थे। साथ ही इनमें से बहुत से आरोप सामाजिक आदर्श से पैदा हो रहे हैं, जहां कोई सोचता है कि महिला को यह करना चाहिए या पुरुषों को ऐसा करना चाहिए।