भोपाल
कोयला मंत्रालय की स्टेंडिंग लिंकेज समिति (लांग टर्म) आगामी सप्ताह में मध्यप्रदेश के लिये 4 हजार मेगावॉट की थर्मल पॉवर कैपेसिटी के लिये दीर्घकालिक कोयला लिंकेज के लिये विद्युत मंत्रालय की सिफारिश की समीक्षा करेगी।
मध्यप्रदेश में कोयला भण्डार की खपत वर्ष 2029-30 तक अनुमानित है। विद्युत मंत्रालय द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार राज्य को दीर्घकालिक ऊर्जा की आवश्यकता है। इसके लिये एसएलसी (एलटी) की बैठक आगामी 26 नवम्बर, 2024 को प्रस्तावित है। विद्युत मंत्रालय ने जुलाई-2024 को मध्यप्रदेश को शक्ति नीति के तहत दीर्घकालिक कोयला लिंकेज प्रदान करने की सिफारिश की थी, जिससे 4 हजार मेगावॉट की कोल-आधारित पॉवर क्षमता के लिये कोयला का आवंटन किया जा सके और देश में कोयला आधारित क्षमता के लिये आवश्यक विस्तार को पूरा किया जा सके। बैठक में इस सिफारिश की समीक्षा की जायेगी। बिजली की खपत में हो रही वृद्धि के कारण विद्युत मंत्रालय का उद्देश्य वर्ष 2032 तक 80 गीगावॉट अतिरिक्त कोल आधारित क्षमता जोड़ना है। लगभग 26 गीगावॉट के कोल-आधारित प्लांट्स पहले से निर्माणाधीन है, जिसमें मध्यप्रदेश भी शामिल है। कोयला मंत्रालय ने राज्य को स्वयं के संसाधनों से या फिर ट्रैफिक पॉलिसी-2016 के तहत बिजली खरीद के लिये निविदा जारी कर इस अंतर को पूरा करने के लिये योजना बनायें या फिर शक्ति नीति के तहत योजना बनाने के लिये कहा।
मध्यप्रदेश के लिये 2024-35 के लिये तैयार की गयी संसाधन उपयुक्तता योजना के अनुसार वर्ष 2032 तक राज्य को 4100 मेगावॉट अतिरिक्त कोल-आधारित विद्युत क्षमता की आवश्यकता होगी। विद्युत मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि राज्य के लिये 4100 मेगावॉट के अतिरिक्त कोल-आधारित क्षमता की आवश्यकता पहले से ही शक्ति नीति के तहत निर्धारित 1230 मेगावॉट (नेट) से अतिरिक्त होगी।
उल्लेखनीय है कि सितम्बर-2022 में एसएलसी (एलटी) ने शक्ति नीति के तहत कोयला लिंकेज की समीक्षा की थी। एसएलसी (एलटी) ने शक्ति नीति के तहत मध्यप्रदेश के लिये कोयला लिंकेज जारी रखने की सिफारिश की थी। बैठक में केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण ने जानकारी दी कि मध्यप्रदेश पॉवर मैनेजमेंट कम्पनी ने राज्य में एक नये पॉवर स्टेशन के लिये 1230 मेगावॉट बिजली की लम्बी अवधि की खरीद के लिये निविदा प्रक्रिया की थी। इस पॉवर स्टेशन के लिये कोयला लिंकेज से ईंधन आपूर्ति की योजना थी।