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इस बार बुद्ध पूर्णिमा के दिन पड़ेगा चंद्रग्रहण

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बुद्ध पूर्णिमा के दिन गौतम बुद्ध के अनुयायी व बौद्ध धर्म को मानने वाले सभी लोग उनकी पूजा करते हैं। बुद्ध पूर्णिमा गौतम बुद्ध के जन्मदिवस के रूप में मनाई जाती है। हर साल वैशाख माह की पूर्णिमा तिथि को बुद्ध पूर्णिमा पड़ती है और इस साल पूर्णिमा 5 मई के दिन मनाई जाएगी। बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर आइए जानते हैं कौन थे गौतम बुद्ध के जीवन की कुछ विशेष बातों के बारे में-

कब से कब तक रहेगा चंद्र ग्रहण

इस बुद्ध पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण पड़ रहा है. साथ ही ग्रह-नक्षत्रों का अजीब संयोग भी बन रहा है। 5 मई को वैशाख पूर्णिमा, बुद्ध पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण भी पड़ रहा है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 5 मई की रात 8 बजकर 45 मिनट से 5 और 6 मई की मध्‍यरात्रि को 1 बजे तक रहेगा। इसके अलावा बुद्ध पूर्णिमा के दिन भद्रा का साया भी रहेगा।

वैशाख पूर्णिमा या बुद्ध पूर्णिमा के दिन सुबह 05 बजकर 38 मिनट से सुबह 11 बजकर 27 मिनट तक भद्रा का साया है। चूंकि इस भद्रा का वास स्थान पाताल है, लिहाजा इसका दुष्प्रभाव पृथ्वी पर नहीं होगा।

क्यों मनाई जाती है बुद्ध पूर्णिमा

बुद्ध पूर्णिमा मनाने के मकसद की बात करें तो बौद्ध धर्म शांति, अहिंसा और एकता के सिद्धांत पर आधारित है। यह दिन जन्म और मृत्यु से पार पा चुके गौतम बुद्ध के सम्मान के लिए मनाया जाता है। कई देशों में मुक्ति के भाव को प्रकट करने के लिए श्रद्धालु पिंजरे में कैद चिड़िया, जानवरों और कीड़े-मकौड़ों को आजाद भी करते हैं।

 

सिद्धार्थ गौतम कैसे बने गौतम बुद्ध

सिद्धार्थ गौतम का जन्म शाक्य कुल में हुआ था। जैसे ही सिद्धार्थ गौतम ने जन्म लिया तभी वहां भविष्यवाणी हुई कि बड़े होने के बाद वे बड़े शासक बनेंगे या फिर साधु बनेंगे। इसलिए उनके पिता ने अपने पुत्र को खोने के डर से उन्हें संसार की असलियत से 29 सालों तक दूर रखा, लेकिन इसके बाद जब वे अपने महल से पहली बार बाहर निकले तब ही उन्हें एक बूढ़ा आदमी, एक बीमार आदमी और एक मृत आदमी दिखा। गौतम बुद्ध जिंदगी के दुख-दर्द को समझ गए और ज्ञान अर्जित करने के लिए अपनी पुरानी जिंदगी को पीछे छोड़ ध्यान करने निकल गए।

गौतम बुद्ध को बोधि पेड़ के नीचे ही ज्ञान या निर्वाण की प्राप्ति हुई। इसके बाद की जिंदगी गौतम बुद्ध ने जगह-जगह यात्रा कर और लोगों को निर्वाण समझाते हुए बिताई और 80 वर्ष की उम्र में दुनिया से चले गए।