इस्लामाबाद
पाकिस्तान और चीन के बीच बलूचों के हमलों को लेकर तनाव बढ़ता जा रहा है। बलूच विद्रोही चाइना पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर (CPEC) को बनाने में लगे चीनी इंजीनियरों पर लगातार खूनी हमले कर रहे हैं। यही नहीं चीनी बिजनसमैन को भी पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के अंदर निशाना बनाया जा रहा है। इससे उनके अंदर दहशत का माहौल है। चीनियों ने साफ तौर पर शी जिनपिंग की सरकार को बोल दिया है कि उन्हें सुरक्षा के लिए अब पाकिस्तानी सैनिकों पर भरोसा नहीं है। हम चीनी सैनिकों को प्राथमिकता देंगे। इन हमलों की वजह से कई चीनी बिजनसमैन पाकिस्तान छोड़ना चाहते हैं और उन्हें पाकिस्तान के अंदर अपना कोई भविष्य नहीं दिख रहा है। इससे राष्ट्रपति जिनपिंग अब चीनी सेना को तैनात करने को लेकर भारी दबाव में हैं। चीन अगर पाकिस्तान में सेना को तैनात करता है तो इसका पाकिस्तान और भारत पर क्या असर होगा? आइए समझते हैं
चीन सरकार पर यह दबाव तब बढ़ गया है जब पिछले महीने दोनों चीनी इंजीनियरों की बलूचों के हमले में मौत हो गई। चीन ने सीपीईसी परियोजना पर अब तक 62 अरब डॉलर का निवेश किया है। सीपीईसी चीन के बीआरआई के सबसे बड़े प्राजेक्ट में से एक है। बीआरआई चीनी राष्ट्रपति का ड्रीम प्राजेक्ट है और सीपीईसी को इसका मुखौटा करार दिया जाता है। चीन के इस प्राजेक्ट का बलूचिस्तान में कड़ा विरोध हो रहा है और बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने चीनी लोगों को वापस जाने के लिए अल्टीमेटम दे रखा है।
चीनियों की सुरक्षा में तैनात हैं 15 हजार पाकिस्तानी सैनिक
चीनी निवेशकों को अब तक पाकिस्तानी सेना और चीन की निजी सुरक्षा एजेंसियों से सुरक्षा मिली हुई है। हालांकि बाद में पाकिस्तान ने विदेशी सुरक्षा एजेंसियों पर प्रतिबंध लगा दिया। बीआरआई मामलों के विशेषज्ञ अलेसांद्रो अरदुइनो ने फाइनेंशियल टाइम्स से कहा कि मैं समझता हूं कि यह मुद्दा अब अहम मोड़ पर पहुंच चुका है और सुरक्षा मुहैया कराने के मुद्दे पर चीन पाकिस्तान से और ज्यादा डिमांड कर रहा है। पाकिस्तान में चीनी सुरक्षा एजेंसियां करेंगी, वह पूरी दुनिया के लिए एक लिटमस टेस्ट होगा। इससे पता चलेगा कि चीन अपने नागरिकों की पूरी दुनिया में कैसे सुरक्षा करेगा।
पाकिस्तानी सेना ने चीनियों की सुरक्षा के लिए करीब 15 हजार जवानों को तैनात किया है, इसके अलावा एक नौसैनिक यूनिट को ग्वादर में रखा है जहां चीन नौसैनिक अड्डा बना रहा है। इन सैनिकों की तैनाती का पूरा खर्च चीन के रक्षा मंत्रालय को वहन करना पड़ रहा है। बलूच विद्रोहियों ने ग्वादर पोर्ट को भी निशाना बनाने का प्रयास किया था जहां बड़ी संख्या में चीनी नागरिक काम करते हैं। बलूच 26 मार्च को पाकिस्तानी वायुसेना के पीएनएस सिद्दीक एयरबेस को भी निशाना बना चुके हैं। इन हमलों को रोकने में पाकिस्तानी सेना को काफी नुकसान पहुंचा है।
पाकिस्तानी सेना की दुनिया में उड़ेगी खिल्ली
चीनियों में खौफ की वजह एक यह है कि हाल ही में पाकिस्तानी सुरक्षा गार्ड ने दो चीनी वर्कर्स को गोली मार दी थी जिसमें वे बुरी तरह से घायल हो गए थे। इन सब वजहों से चीन पाकिस्तान में अपने सुरक्षाकर्मी तैनात करना चाहता है। चीन के सैनिक तैनात होना पाकिस्तान की संप्रभुता का खुला उल्लंघन होगा और दुनियाभर में पाकिस्तानी सेना की जो खिल्ली उड़ेगी, वह अलग से होगी। इसी वजह से पाकिस्तानी सेना चाह रही है कि चीन जासूसी और निगरानी करने में मदद करे। वहीं चीन के आर्थिक गुलाम बन चुके पाकिस्तान में अगर चीनी सेना आती है तो इसका भारत पर भी असर होगा।
चीन की सेना पाकिस्तान पहुंची तो भारत को खतरा!
यह वजह है कि भारत इस पूरे घटनाक्रम पर कड़ी नजर बनाए हुए है। चीन अगर पाकिस्तान में अपनी सेना को तैनात करता है तो वे पीओके में भी आएंगे। पीओके से ही होकर सीपीईसी परियोजना जाती है। भारत इसका कड़ा विरोध करता रहा है। भारत ने साफ कहा है कि पीओके उसका हिस्सा है और मानता है कि अगर कोई भी विदेशी मौजूदगी नई दिल्ली की संप्रभुता का उल्लंघन है। भारत ने बार-बार पड़ोसी देशों श्रीलंका, नेपाल और बांग्लादेश को चेतावनी दी है कि वे बीआरआई से पैदा होने वाले खतरे से सजग रहें। बीआरआई आज दुनिया में कर्ज के जाल के रूप में देखा जा रहा है। वहीं अगर चीनी सेना पीओके में मौजूदगी बनाने में कामयाब हो जाती है तो इससे भारत के उत्तरी सीमा पर उसका प्रभाव काफी बढ़ जाएगा। इससे दोनों देशों से एक साथ निपटने की भारत की रणनीति और जटिल हो जाएगी।