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पाक और चीन की टेंशन बढ़ाएगी इंडियन आर्मी, साइबर युद्ध में दुश्मन को मिलेगा मुंहतोड़ जवाब

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नई दिल्ली

लगातार बदलते समय में दुश्मन देश साइबर युद्ध के जरिए ऐसे-ऐसे काम कर जाते हैं तो उनकी सेनाएं नहीं कर पाती। पाकिस्तान और चीन सोशल मीडिया पर प्रोपेगेंडा चलाकर भारत के खिलाफ लगातार जहर उगलते रहते हैं। इन खतरों को भांपते हुए सेना ने पहली बार साइबर विंग बनाने का फैसला लिया है। साइबर युद्ध के खतरे से निपटने के लिए सेना ने पहली बार कमांड साइबर आपरेशंस एंड सपोर्ट विंग्स (सीसीओएसडब्ल्यू) बनाने का फैसला किया है। अभी तक साइबर चुनौतियों से निपटने के लिए सेना के पास कोई स्थापित तंत्र नहीं है। हाल में संपन्न हुए सेना कमांडर सम्मेलन में यह निर्णय लिया गया है, जिसमें सेना की हर कमांड अब साइबर विंग से लैस होगी।

सेना की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि 17-21 अप्रैल के बीच हुए सैन्य कमांडर सम्मेलन में कई अहम फैसले लिए गए जिसमें कमांड साइबर ऑपरेशंस, सपोर्ट विंग्स के संचालन का निर्णय शामिल है। इसके तहत सेना की प्रत्येक कमान में एक साइबर विंग बनेगी, जो साइबर युद्ध और साइबर हमलों से जुड़े खतरों से निपटेगी। यह विंग सेना के इंटरनेट नेटवर्क को भी साइबर हमलों से बचाएगी तथा साइबर सुरक्षा से संबंधित अन्य सभी योजनाओं का क्रियान्वयन सुनिश्चित करेगी। विंग साइबर विशेषज्ञों की तैनाती करेगी।

उत्कृष्ट प्रौद्योगिकियों के इस्तेमाल पर हुई चर्चा
सम्मेलन में सेना की मारक क्षमता में इजाफे के लिए उत्कृष्ट प्रौद्योगिकियों के इस्तेमाल को बढ़ाने पर भी चर्चा हुई। सैन्य बलों की क्षमताओं के बेहतर उपयोग को लेकर भी बात हुई। सेना ने कहा कि आधुनिक संचार प्रणालियों पर बढ़ती निर्भरता पर जोर देने वाली 'नेट केंद्रीयता' की ओर तेजी से होते झुकाव के बीच इस मंच ने नेटवर्क की सुरक्षा जरूरत की समीक्षा की और निकट भविष्य में कमांड साइबर ऑपरेशंस एंड सपोर्ट विंग्स (सीसीओएसडब्ल्यू) को संचालित करने का निर्णय लिया है।

2023 को रूपांतरण वर्ष घोषित किया
सम्मेलन में सेना में किए जा रहे बदलावों की समीक्षा की गई जिसमें आधुनिकीकरण, थियेटर कमान के गठन, मानव संसाधन से जुड़े मुद्दों तथा अन्य प्रक्रियाओं की समीक्षा की गई। 2023 को रूपांतरण वर्ष घोषित किया गया है। इससे इस बात के संकेत मिलते हैं कि इस साल तीनों सेनाओं के एकीकरण से बनने वाली पहली थियेटर कमान आकार ले लेगी। इसके अलावा अग्निपथ योजना के क्रियान्वयन की प्रगति पर भी विचार-विमर्श किया गया।

हाइब्रीड रूप में आयोजित किया गया सम्मेलन
सम्मेलन में सेना के कमांडर और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने वर्तमान और उभरते सुरक्षा परिदृश्यों का जायजा लिया और बल की अभियानगत तैयारियों और तत्परता की समीक्षा की। पहली बार यह सम्मेलन हाइब्रीड रूप में आयोजित किया गया। सम्मेलन के दौरान सैन्य टुकड़ियों तथा भूतपूर्व सैनिकों के लिए कई कल्याणकारी उपायों और पहलों को कार्यान्वित करने का निर्णय लिया गया। सिमुलेटर प्रशिक्षण को बढ़ावा देने के लिए इस वर्ष 791 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से 435 सिमुलेटरों की खरीद की योजना को भी अंतिम रूप दिया गया। दिल्ली कैंट में थल सेना भवन का निर्माण कार्य जो मार्च 2023 में आरंभ हुआ, को भी रेखांकित किया गया। 2025 में इस कार्य के पूरा हो जाने के बाद सेना से जुड़े सभी निदेशालय एक छत के नीचे आ जाएंगे।