नई दिल्ली
सेना में तकनीकी भर्ती योजना (टीईएस) के जरिये अफसर बनने के इच्छुक नौजवानों के लिए अच्छी खबर है। अब वे पांच नहीं सिर्फ चार साल में सेना में कमीशन प्राप्त कर अफसर बन सकेंगे। हाल में संपन्न हुए सेना कमांडर सम्मेलन में यह निर्णय लिया गया है। इस फैसले को जनवरी 2024 से लागू किया जाएगा। सेना के सूत्रों ने कहा कि टीईएस में चुने जाने वाले उम्मीदवारों को अभी पांच साल का प्रशिक्षण प्राप्त करना होता है, जिसके बाद वे अफसर बन पाते हैं।
सबसे पहले उन्हें ऑफिसर ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, गया में एक साल का बुनियादी सैन्य प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। इसके बाद उन्हें विभिन्न सैन्य कॉलेजों जैसे कॉलेज ऑफ मिलिट्री इंजीनियरिंग (सीएमई) पुणे, मिलिट्री कॉलेज ऑफ टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग (एमसीटीसी) मप्र तथा मिलिट्री कॉलेज ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियरिंग (एमसीईएमई) सिकंदराबाद में तीन साल की इंजीनिरिंग की पढ़ाई कराई जाती है। इसे पूरा करने के बाद उन्हें इंडियन मिलिट्री एकेडमी (आईएमए) में एक साल का सैन्य प्रशिक्षण हासिल करना होता है। इस प्रकार पांच साल का प्रशिक्षण पूरा करने के बाद लेफ्टिनेंट के रूप में पहली नियुक्ति मिलती है।
कमांडर सम्मेलन में हुए निर्णय के बाद अब ओटीए गया में एक साल होने वाले प्रशिक्षण को खत्म कर दिया गया है। टीईएस में चुने गए उम्मीदवारों को सीधे उपरोक्त मिलिट्री कॉलेजों में इंजीनियरिंग करनी होगी और फिर एक साल आईएमए में बिताना होगा। इस प्रकार चार साल के प्रशिक्षण के बाद उन्हें लेफ्टिनेंट की पहली नियुक्ति मिलेगी।
सेना ने कहा कि इस फैसले से सेना में अफसरों की कमी को पूरा करने में मदद मिलेगी, क्योंकि ट्रेनिंग में एक साल कम लगेगा। दूसरे एनडीए और टीईएस योजना के तहत चुने गए उम्मीदवारों में मौजूदा असमानता भी खत्म होगी। एनडीए में चुने गए उम्मीदवार चार साल में सेना में कमीशन प्राप्त करते हैं, जबकि टीईएस में पांच साल लग रहे थे, जबकि सेना में भर्ती की दोनों योजनाओं के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता 12वीं पास ही है। एनडीए में जहां अलग से परीक्षा पास करनी होती है, वहीं टीईएस में जेईई की रेंकिंग के आधार पर प्रवेश होता है।