हरिद्वार
उत्तराखंड के हरिद्वार में सरकारी कार्यक्रम में मुस्लिम विधायकों को निमंत्रण दिए जाने के मामले पर हंगामा खड़ा हो गया। जिला प्रशासन की तरफ से उत्तराखंड स्थापना दिवस के अवसर पर हर की पैड़ी घाट पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। यहां क्षेत्र के 3 मुसलमान विधायकों को आमंत्रित किए जाने के मसले पर विवाद खड़ा हो गया। दरअसल घाट का प्रबंधन करने वाली संस्था गंगा सभा की तरफ से मुस्लिम नेताओं को बुलाए जाने सख्त विरोध किया गया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सहित कई अन्य भाजपा नेताओं की मौजूदगी में सोमवार को सांस्कृतिक कार्यक्रम और लाइट शो का आयोजन किया गया। प्रोटोकॉल के तहत जिला प्रशासन ने लक्सर से बसपा विधायक मोहम्मद शहजाद, पिरान कलियर से कांग्रेस विधायक फुरकान अहमद, मंगलौर से कांग्रेस विधायक काजी निजामुद्दीन को आमंत्रित किया था।
हालांकि, निमंत्रित किए गए तीनों मुस्लिम विधायकों में से कोई भी इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुआ। गंगा सभा संस्था की ओर से तर्क दिया गया कि तीनों मुस्लिम विधायकों को आमंत्रित नहीं किया जाना चाहिए था। इसके पीछे तर्क दिया गया कि गैर हिंदुओं को लंबे समय से घाट पर प्रवेश की अनुमति नहीं है। अंग्रेजों ने भी इसे हरिद्वार म्युनिसिपल ऐक्ट 1935 के तहत एक नियम बना दिया था।
बजरंग दल के स्टेट कोर्डिनेटर अनुज वालिया ने इस मामले में कहा, 'हमने मुस्लिम विधायकों को बुलाने पर कड़ा ऐतराज जताया था। प्रशासन ने अपनी गलती मानी और फिर हमें यह बताया कि विधायक यहां क्रार्यक्रम नहीं आएंगे।' गंगा सभा से जुड़े एक सदस्य ने बताया कि कुछ मुद्दे उठाए गए थे, लेकिन यह पुष्टि की गई कि कोई भी विधायक नहीं आ रहा है। उन्होंने आगे इस पर कुछ भी बोलने से इनकार करते हुए कहा कि सबकुछ ठीक रहा।
इस बारे में बसपा विधायक मोहम्मद शहजाद ने कहा, 'हमें दक्षिणपंथी संगठनों के विरोध की परवाह नहीं है। हम गंगा और हर की पैड़ी की पवित्रता को जानते हैं और उसका सम्मान करते हैं। मैं सरकारी कार्यक्रमों में नहीं जाता क्योंकि भाजपा नेता उन्हें हाईजैक कर लेते हैं और निर्वाचित जनप्रतिनिधियों का स्वागत नहीं किया जाता।'
वहीं कांग्रेस पार्टी के दोनों मुस्लिम विधायक- काजी निजामुद्दीन और फुरकान अहमद ने कहा कि जब यह कार्यक्रम हुआ तो वे लोग उत्तराखंड में नहीं थे। दोनों विधायकों ने महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव का प्रचार करने का हवाला दिया।