ओटावा
कनाडा में हिंदू मंदिर पर हमले के बाद से ही तनावपूर्ण माहौल है। देश में रह रहे हिंदू समुदाय के बीच अपनी सुरक्षा को लेकर डर का माहौल है। भारतीय कौंसुलेट का एक कैंप में अलबार्टा में लगना था, लेकिन इसमें हिंसा के डर से कैंसिल कर दिया गया। यह कैंप वैंकुवर स्थित इंडियन कौंसुलेट की ओर से आयोजित होना था। इन घटनाओं के चलते हिंदू समुदाय के बीच डर का माहौल है। एक सर्वे में यह बात सामने आई है। सर्वे के अनुसार देश के ज्यादातर हिंदुओं का कहना है कि वह अपनी सुरक्षा को लेकर डरे हुए हैं। ऐसा तब है, जब कनाडा की सरकार को लेकर वहां हिंदुओं का भरोसा कमजोर हुआ है।
पिछले दिनों हुए मंदिर पर हमले ने इस चिंता को और बढ़ा दिया है। खबर मिली है कि अलबार्टा में जहां कैंप होना था, वहां खालिस्तानी प्रदर्शन करने पहुंचे थे। उन्हें स्थानीय पुलिस ने थोड़ी दूरी पर ही रोक लिया था। रविवार रात को खालिस्तानी संगठन सिख्स फॉर जस्टिस की ओर से बयान में कहा गया था कि हम भारतीय डिप्लोमैट्स की ओर से होने वाले कैंप में बाधा पहुंचाएंगे। सिख्स फॉर जस्टिस ने कहा कि हम कनाडा में लाइफ सर्टिफिकेट कैम्पस का विरोध करते रहेंगे। उसने ग्रेटर टोरंटो एरिया में 16 और 17 नवंबर को आयोजित होने वाले कैंपों का भी जिक्र किया था।
बता दें कि टोरंटो स्थित भारतीय कौंसुलेट ने बीते सप्ताह ही ऐलान किया था कि वह कुछ कौंसुलर कैम्पस को रद्द करेगा। उसका कहना था कि हम ऐसा फैसला इसलिए ले रहे हैं क्योंकि कनाडा की सरकार ने सुरक्षा को लेकर भरोसा नहीं दिया है। ऐसी स्थिति में हम कुछ कैंपों को रद्द ही कर रहे हैं। इस बीच विश्व हिंदू परिषद कनाडा के सर्वे में कहा गया है कि हिंदुओं के बीच नाराजगी है। वॉइस ऑफ कनैडियन हिंदू के सर्वे में कहा गया है कि 98.5 फीसदी हिंदुओं को जानकारी है कि मंदिर पर हमला हुआ है। वहीं ओंटारियो और ब्रिटिश कोलंबिया के 95 फीसदी हिंदुओं का कहना है कि इन हमलों के बाद हम सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे।
इसके अलावा 98 फीसदी हिंदू ऐसे हैं, जिन्होंने जस्टिन ट्रूडो सरकार के रुख को खराब या बेहद खराब करार दिया है। इसके अलावा कनाडा की कानूनी एजेंसियों को लेकर भी 96 फीसदी लोगों ने ऐसी ही राय जताई है। इस सर्वे में 1000 से ज्यादा कनाडाई हिंदुओं ने हिस्सा लिया था।