Home राज्यों से उत्तर प्रदेश नॉर्मलाइजेशन के खिलाफ आज प्रयागराज में छात्रों का बड़ा प्रदर्शन, बैरिकेडिंग टूटी

नॉर्मलाइजेशन के खिलाफ आज प्रयागराज में छात्रों का बड़ा प्रदर्शन, बैरिकेडिंग टूटी

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प्रयागराज
यूपी पीसीएस 2024 प्रारंभिक परीक्षा दो दिन में कराने और नॉर्मलाइजेशन (मानकीकरण) के खिलाफ सोमवार को प्रयागराज में छात्रों का बड़ा प्रदर्शन हो रहा है। इस मुद्दे पर कई दिनों से आंदोलित छात्रों ने पहले ही इस प्रदर्शन का ऐलान किया था जिसे देखते हुए सुबह से यूपीपीएससी के आसपास पुलिस बल का भारी इंतजाम किया गया था। पुलिस, छात्रों को धरनास्‍थल पर भेजने के प्रयास में थी लेकिन हजारों की संख्‍या में छात्र आयोग के गेट नंबर दो पर पहुंच गए हैं। अभ्यर्थियों ने साफ किया है कि जब तक मानकीकरण निरस्त होने की नोटिस जारी नहीं होती और परीक्षा एक दिन में नहीं होती तब तक उनका शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक धरना जारी रहेगा। धरने में उत्तर प्रदेश के अलावा दिल्ली और अन्य राज्यों से कई प्रतियोगी छात्र भी प्रदर्शन में शामिल हैं।

उत्‍तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के गेट नंबर दो पर हजारों की संख्‍या में छात्र जुटे हैं। प्रदर्शन में कुछ छात्राएं भी हैं। छात्रों की भीड़ और उनके दबाव से चौराहे पर लगी बैरिकेडिंग टूट गई। 2013 के त्रिस्तरीय आरक्षण आंदोलन के 11 साल बाद छात्रों का इतना बड़ा प्रदर्शन प्रयागराज में देखने को मिल रहा है। बता दें कि उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने सात और आठ दिसंबर को पीसीएस 2024 प्रारंभिक परीक्षा की तैयारियां शुरू कर दी हैं। आयोग के सचिव अशोक कुमार ने उन सभी 41 जिलों के डीएम को आठ नवंबर को निर्देश भेजे जहां परीक्षाएं कराई जाएंगी। लेकिन छात्र आयोग के निर्णय को किसी भी सूरत में मानने को तैयार नहीं हैं। दो नम्बर गेट के बाहर पुलिस और पैरामिलिट्री के जवान बैरीकेडिंग कर खड़े हैं।

तिरंगे के साथ प्रदर्शन
छात्र हाथों में तिरंगा और भगत सिंह की तस्वीर लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। नारेबाजी और तालियों के बीच कुछ सुनना मुश्किल हो रहा है। यूपीपीएससी का दो नम्बर गेट पूरी तरह से पैक हो गया है। छात्रों के बीच से 'आवाज़ दो हम एक हैं,' छात्र एकता जिंदाबाद', 'आयोग की तानाशाही नहीं चलेगी' के नारे लगातार लगाए जा रहे हैं। उनके नारों के आगे हैंडहेल्ड स्पीकर की आवाज भी दब जा रही है।

कब और कहां से शुरू हुआ मामला, सिलसिलेवार समझें 
बीते 1 जनवरी 2024 को UPPSC ने अपर सबऑर्डिनेट सर्विस (PCS) प्रीलिम्स एग्जाम का नोटिफिकेशन जारी किया था. इसके अनुसार 17 मार्च 2024 को परीक्षा होनी थी. लेकिन ये स्थगित हो गई. फिर 3 जून को इसी परीक्षा का नोटिफिकेशन जारी करते हुए घोषणा की गई कि 27 अक्टूबर को परीक्षा होनी है. एक बार फिर डेट बदली और बीती 5 नवंबर को UPPSC ने एक बार फिर नोटिफिकेशन जारी कर दिया. इस नोट‍िफिकेशन के साथ ही एक नया नियम भी सामने आया. इसी के बाद से अभ्यर्थी नाराज हैं. दरअसल इस नोटिफिकेशन में कहा गया था कि परीक्षा का आयोजन एक दिन के बदले दो दिन में किया जाएगा. 

ऐसे शुरू हुआ बवाल 

दरअसल 11 फरवरी 2024 को समीक्षा अधिकारी/सहायक समीक्षा अधिकारी यानी आरओ एआरओ का प्रीलिम्स एग्जाम हुआ था. उसी दिन शाम होते-होते सोशल मीडिया पर पेपर लीक की खबरें आने लगीं. कई लोगों ने लिखा कि परीक्षा से पहले ही पेपर लीक हो गया. इस बात पर छात्रों का विरोध शुरू हो गया. दोबारा परीक्षा की मांग हुई तो आयोग ने स्पेशल टास्क फोर्स (STF) से मामले की जांच कराने का फैसला लिया.

छात्रों के भारी व‍िरोध के बाद दो मार्च को सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 6 महीने में दोबारा परीक्षा होगी. उन्होंने ट्वीट पर ल‍िखा कि उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा 11 फरवरी 2024 को आयोजित समीक्षा अधिकारी/सहायक समीक्षा अधिकारी (प्रारम्भिक) परीक्षा, 2023 को निरस्त करने और आगामी 6 माह में इसे दोबारा कराने के आदेश दिए हैं. परीक्षा की शुचिता से खिलवाड़ करने वालों को किसी भी दशा में बख्शा नहीं जाएगा. युवाओं के दोषियों को ऐसी सजा दिलाएंगे, जो नजीर बनेगी.

अब इधर हजारों अभ्यर्थी जो पीसीएस परीक्षा का इंतजार कर रहे थे. अचानक 7 मार्च को आयोग ने नोटिस जारी किया कि 17 मार्च की PCS प्रीलिम्स परीक्षा 'अपरिहार्य कारणों' से स्थगित की जाती है. बताया गया कि परीक्षा जुलाई में हो सकती है. लेकिन कोई तारीख नहीं दी गई. इससे यूपी पीसीएस के अभ्यर्थी भी निराश हो गए. 

कैसे बढ़ी नाराजगी 
अभ्यर्थी मुख्यमंत्री योगी के ट्वीट के बाद आश्वस्त थे कि 6 महीने में RO/ARO एग्जाम दोबारा होगा. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ क्योंकि परीक्षा के पेपर लीक की जांच जारी रही. इसमें कई आरोपियों को गिरफ्तार किया गया. लेकिन पेपरलीक कैसे हुआ, इसकी कोई अपडेट नहीं आई. इस बीच 3 जून को पीसीएस एग्जाम करवाने को लेकर फिर से नोटिफिकेशन आया ज‍िसमें 27 अक्टूबर को प्रीलिम्स की परीक्षा की डेट दी गई. मगर, एग्जाम से कुछ दिन पहले फिर 16 अक्टूबर को आयोग ने फिर से परीक्षा स्थगित करने की सूचना दी. इसमें एग्जाम सेंटर बनाने में देरी की वजह बताई गई. इसी नोटिस में कहा गया कि दिसंबर के पहले पखवाड़े तक परीक्षा करवाई जा सकती है. आयोग ने 19 जून के सरकार के आदेश का हवाला दिया कि इसके अनुसार परीक्षा केंद्र मिलने पर अभ्यर्थियों को अगली डेट की जानकारी दे दी जाएगी.

क्या था जून का वो आदेश
आपको बता दें कि इससे पहले 19 जून को यूपी सरकार ने परीक्षा केंद्रों को लेकर कुछ गाइडलाइन जारी की थी. इसमें परीक्षा केंद्र चुनने के लिए दो कैटेगरी बनाई गई थी. कैटगरी 'ए' में राजकीय इंटर कॉलेज, सरकारी डिग्री कॉलेज, राज्य और केंद्र के विश्वविद्यालय, पॉलिटेक्निक इंजीनियरिंग और राज्य के मेडिकल कॉलेज को रखा गया था. वहीं 'बी' में उन सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थानों को रखा गया, जिनकी 'छवि' अच्छी हो. प्राइवेट संस्थानों को सेंटर नहीं बनाने का आदेश आया. इसके अलावा ये भी कहा गया कि एग्जाम सेंटर्स बस स्टैंड या रेलवे स्टेशन के 10 किलोमीटर के दायरे में हों. साथ ही एक पाली में अधिकतम 5 लाख अभ्यर्थियों को ही रखने का आदेश आया.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार आयोग को PCS प्रीलिम्स करवाने के लिए 1758 एग्जाम सेंटर्स की जरूरत थी. लेकिन आदेश का पालन करते हुए आयोग को ऐसे 978 परीक्षा केंद्र ही मिल पाए. जबकि इस परीक्षा के लिए  5 लाख 76 हजार 154 अभ्यर्थी रजिस्टर्ड हैं. वहीं, RO/ARO प्रीलिम्स के लिए 10 लाख 76 हजार अभ्यर्थी परीक्षा में बैठने वाले हैं.

यहां से शुरू हुआ हंगामा 
अब जून के उसी आदेश को असर में रखते हुए 5 नवंबर को पीसीएस और आरएआरओ परीक्षाओं के लिए तीसरी बार नोट‍िफिकेशन आया. आयोग ने इस नोटिफिकेशन में कहा कि PCS की प्रीलिम्स परीक्षा 7 और 8 दिसंबर को दो-दो सत्रों में होगी. पहला सेशन सुबह 9:30 बजे से 11:30 बजे तक और दूसरा दोपहर 2:30 बजे से 4:30 बजे तक आयोज‍ित होगा. ये एग्जाम 41 जिलों में होंगे. साथ ही कहा कि हर संभव कोशिश के बावजूद 19 जून के आदेश के अनुसार सेंटर उपलब्ध नहीं होने के कारण परीक्षा दो दिन में कराई जाएगी.

ठीक इसी प्रकार RO/ARO की परीक्षा 22 और 23 दिसंबर को होगी. ये परीक्षा 411 पदों के लिए होने वाली है. 22 दिसंबर को पहली पाली सुबह 9 बजे से 12 बजे तक और दूसरी पाली दोपहर 2:30 बजे से शाम 5:30 बजे तक. वहीं, 23 दिसंबर को तीसरी पाली में सुबह 9 बजे से 12 बजे तक परीक्षा होगी. इसमें भी 19 जून के आदेश का हवाला दिया गया कि एक पाली में 5 लाख से ज्यादा अभ्यर्थी नहीं हो सकते हैं.इसीलिए ये दो पाली में आयोजित हो रही है. 

नार्मलाइजेशन को लेकर व‍िरोध 
अभ्यर्थी 5 नवंबर के आदेश के अनुसार एक दिन से ज्यादा परीक्षा के आयोजन को लेकर तैयार नहीं है. अभ्यर्थ‍ियों का कहना है कि इससे रिजल्ट पर असर पड़ेगा, क्योंकि एक से अधिक पालियों में परीक्षा होने पर रिजल्ट के लिए नॉर्मलाइजेशन यानी मानकीकरण की प्रक्रिया अपनाई जाएगी. इस प्रक्र‍िया से जब एक ही एग्जाम अलग-अलग दिन होंगे तो उसके लिए अलग-अलग प्रश्न पत्र होंगे. संभावना है कि एक के मुकाबले दूसरा प्रश्न पत्र कठिन हो.

इसी अंतर को पाटने के लिए नॉर्मेलाइजेशन की प्रक्रिया अपनाई जाती है. ज्यादातर परीक्षाओं में परसेंटाइल स्कोर के आधार पर इसे एडजस्ट किया जाता है. इसका उद्देश्य है कि अलग-अलग प्रश्न पत्र होने के कारण किसी छात्र को फायदा या नुकसान ना हो. छात्रों का आरोप है कि सरकार ने जो प्रक्रिया अपनाई है वो साइंटिफिक नहीं है. अब छात्रों की मांग है कि ये परीक्षा एक दिन और एक पाली में कराई जाए.